नई दिल्ली: चीन में लगातार कई दिनों से चीनी सरकार और शी जिनपिंग का विरोध हो रहा है. जो बात विश्व के कई देश कह रहे थे वही बात अब चीन के भीतर से उठ रही है. अपने झूठ, चालबाजी और शर्मनाक मंसूबे से चीन ने ही दुनिया को कोरोना की आग में झोंका. कई दिनों से लोग इस बात पर सवाल खड़े कर रहे हैं कि जो चीन एक समय दावा कर रहा था कि उसने कोरोना वायरस को जड़ सहित नष्ट कर दिया है वही आंकड़े संशोधित करके लॉकडाउन में सख्ती भी बढ़ा रहा है. इसका अर्थ यही है कि चीन के भीतर बहुत कुछ ऐसा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए था.
चीन के कोरोना पीड़ित सरकार पर आक्रामक
चीन के भीतर से जो स्वर उठ रहे हैं उनसे पता चलता है कि शी जिनपिंग और उनकी सरकार के कुकृत्यों से लोग नाराज हैं. सबसे अधिक आक्रामक तो वे लोग हैं जिन लोगों ने कोरोना महामारी से अपने परिजनों को खोया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में अपनों को कोरोना वायरस महामारी में खोने वाले परिवार सरकार से मुआवजा और स्पष्टीकरण चाहते हैं. चीन की सरकार या तो इनके दमन की योजना बना रही है या इन्हें कैसे भी शांत करने की कोशिश कर रही है.
विरोध को दबाने की कोशिश में चीनी सरकार
आपको बता दें कि कोरोना वायरस पर चीन सरकार का रूख देखकर लगता है कि वह किसी भी तरह की सफाई देने के मूड में नहीं है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन लोगों ने कम्युनिस्ट पार्टी की कोरोना वायरस कहानी को लेकर चुनौती दी थी, उन्हें अब बाहर निकाला जा रहा है. ऐसे में सरकार पर मुकदमा करने के लिए कुछ लोग सामाजिक कार्यकर्ता यांग झान किंग के पास मदद मांगने पहुंचे थे और चीन सरकार की नींद इसी वजह से उड़ गई है.
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कोरोना पीड़ितों को भी तंग कर रही सरकार
चीन की निकृष्ट सरकार की वजह से कोरोना महामारी में अपनों को खोने देने वाले कुछ परिवारों को पुलिस पूछताछ का सामना तक करना पड़ा. इसके अलावा वकीलों को सरकार के खिलाफ कोई भी मुकादमा दायर नहीं करने की चेतावनी दी गई है. कहा जा रहा है कि कम्युनिस्ट पार्टी नहीं चाहती कि कोई भी उसके आधिकारिक बयान को चैलेंज करे, ऐसे में इस बात ध्यान रखा जा रहा है कि कोई भी उस पर सवाल खड़े न कर सके.
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दुनियाभर में अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी समेत कई देशों के नेताओं का मानना है कि अगर चीन शुरूआत में वायरस के बारे में जानकारी साझा कर देता तो, मौतों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विनाश से बचा जा सकता था.