नई दिल्लीः कोरोना संकट के बीच इस समय ओडिशा और पं. बंगाल के तट पर अम्फान तूफान का खतरा बना हुआ है. मौसम विभाग बीते तीन दिनों से इस पर कड़ नजर बनाए हुए है. मंगलवार को बताया गया कि यह तूफान भीषण चक्रवाती रुख ले चुका है. इसके कारण भीषण तबाही की आशंका है. केंद्र भी राज्य सरकारों की व्यवस्था पर नजर बनाए हुए है. लेकिन, भारत के तटों पर तूफ़ानों से होने वाली तबाही नई बात नहीं है. अम्फान से पहले कई तूफान भारतीय सागरीय तटों पर विनाश लीला खेल चुके हैं.
1999 का सुपर साइक्लोन
अम्फान के लिए कहा जा रहा है कि यह 1999 यानी कि 21 साल पहले आए सुपर साइक्लोन से भी अधिक शक्तिशाली है. दरअसल यही वजह है कि इसके लिए इतनी तैयारियां की जा रही हैं. मौसम विभाग के महानिदेशक ने 1999 के सुपर साइक्लोन का जिक्र करके उसकी विभीषिका याद दिला दी.
21 साल पहले उस भीषण चक्रवाती तूफान के कारण 9000 से अधिक लोगों की जान गई थी. लेकिन इससे पहले भी कई तूफानों ने बहुत दंश दिए हैं.
चक्रवात वायु, 13 जून 2019
बीते साल जून 2019 में वायु तूफान गुजरात में आया था. इसके भी भारी तबाही मचाने की आशंका थी. तूफान के खतरे को देखते हुए तटों को खाली करा लिया गया था और राज्य की करीब 80 ट्रेनें कैंसिल कर दी गईं थीं. लेकिन ऐन वक्त पर तूफान ने अपना रास्ता बदल लिया और केवल तटों से टकराता हुआ निकल गया.
फानी तूफान, 3 मई 2019
वायु से भी एक महीने पहले चक्रवात फानी ने ओडिशा में तबाही मचाई थी. केंद्र और राज्य सरकार ने तूफान की चेतावनी जारी होते ही तटों को खाली करा दिया था और राज्य में सुरक्षा कैंप बनाए गए थे. इसके बावजूद फानी से 33 लोगों की मौत हुई थी. फानी को भी 1999 के सुपर साइक्लोन जितना खतरनाक माना गया था. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के सूत्रों के मुताबिक फानी 43 सालों में भारतीय समुद्री क्षेत्र में अप्रैल में बनने वाला इस तरह का पहला चक्रवाती तूफान है.
गाजा तूफान, 17 नवबंर 2018
गाजा तूफान का असली नाम था गज, जो इसे श्रीलंका के मौसम वैज्ञानिकों ने दिया था. गाजा पं. बंगाल से उठते हुए केरल और तमिलनाडु के तट पर पहुंचा था और भीषण तबाही मचाई थी. तैयारियों और चेतावनी के बाद भी इससे तूफान के समय 37 लोगों की मौत हुई थी और बाद में अधिक प्रभावी क्षेत्रों में अन्य मौतें भी हुई थीं.
करीब 110 किलो प्रति घंटा की स्पीड वाले गाजा तूफान के कारण तमिलनाडु कई जिलों में करीब 13 हजार ट्रांसफॉर्मर गिर गए जबकि 5 हजार से ज्यादा पेड़ उखड़ गए. इस तूफान ने केरल और पुडुचेरी में भी तबाही मचाई थी.
निलोफर, अक्टूबर 2014
अरब साहर से उठा यह तूफान गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश को घेर में ले रखा था. पहले इस तूफान के गुजरात के तटों पर भारी तबाही की मचाने की आशंका थी, लेकिन बाद में यह लेट हो गया और आते-आते कमजोर पड़ गया. हवा की गति 50 से 60 किलोमीटर प्रतिघंटा रह गई और तेज बारिश के कारण नुकसान हुआ. यह भीषण चक्रवात का रूप ले सकता था, लेकिन खतरा टल गया.
14 अक्तूबर 2014
बंगाल की खाड़ी से उठे हुदहुद तूफान व उसके प्रभाव से हुई मूसलाधार बारिश ने आंध्रप्रदेश व ओडिशा में तबाही मचाई. इसने बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब एवं हरियाणा में भी व्यापक असर डाला. इस तूफान की वजह से 25 लोगों की मौत हुई.
12 अक्तूबर 2013
ओडिशा और आंध्रप्रदेश में आए पाइलीन तूफान से माली नुकसान तो हुआ लेकिन जान का नुकसान ज्यादा नहीं हुआ. इस तूफान को लेकर पहले ही केंद्रीय एजेंसियों और राज्य सरकारों ने सतर्कता बरती थी और निपटने के लिए जरूरी इंतजाम कर लिए थे. पांच लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहले ही भेज दिया गया था. तूफान से खतरे को देखते हुए 72 घंटे पहले ही अलर्ट जारी कर दिया गया था.
31 अक्तूबर, 2012, नीलम तूफान
तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाके में चक्रवाती तूफान ‘नीलम’ आया. इसमें दो लोगों की मौत हुई. तूफान की गति 110 किमी प्रति घंटा थी.
2 जून 2010, फेट तूफान
अहमदाबाद के अरब सागर में उठे चक्रवात ‘फेट’ ने भयंकर रूप धारण किया. इसकी वजह से गुजरात के कुछ हिस्सों में भारी बारिश हुई थी.
21 मई 2010, लैला तूफान
आंध्रप्रदेश में लैला नामक तूफान ने तटीय इलाकों में तबाही मचाई. इसकी चपेट में आने से 23 लोगों की मौत हुई. तूफान से 20,000 हेक्टेयर फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी.
14 अप्रैल 2010
पश्चिम बंगाल, बिहार और असम में 125 किलोमीटर की रफ्तार से आए भयंकर चक्र वात ने 120 लोगों की जान ले ली और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए.
नरगिस तूफान, 2008
एक खतरनाक तूफान बांग्लादेश के दक्षिण में म्यांमार के दक्षिणी डेल्टा क्षेत्र में 2008 में भी आया था. नरगिस नाम के इस तूफान ने बहुत ऊंची-ऊंची लहरें उठाई थीं, जिससे आई बाढ़ में इस इलाके के 1,30,000 लोग मारे गए थे.
26-30 अक्तूबर 1971
ओडीशा के तट से टकराए तूफ़ान की रफ़्तार 150 से 170 किलोमीटर थी. 10 हज़ार लोग मारे गए और 10 लाख से ज़्यादा लोग बेघर हो गए. 50 हज़ार मवेशियों की मौत हो गई और आठ लाख घरों को नुकसान पहुंचा था.
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1970 भोला साइक्लोन
11 नवंबर, 1970 को द ग्रेट भोला साइक्लोन, बांग्लादेश में आया था. हालांकि उस दौरान बांग्लादेश को पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था. द ग्रेट भोला के चलते पूर्वी पाकिस्तान में जबरदस्त बाढ़ आ गई थी. इसके अलावा उस दौरान बांग्लादेश से लगे समुद्र में 35 फीट ऊंची लहरें उठी थीं, जिन्होंने बांग्लादेश के बड़े भू-भाग को अपना निशाना बनाया था.
कहा जाता है कि इस तूफान के चलते पूर्वी पाकिस्तान में 3 से 5 लाख लोगों की जानें गई थीं. इसे उष्णकटिबंधीय तूफानों में अब तक का ज्ञात सबसे खतरनाक तूफान माना जाता है. एक पूरा शहर इससे आई बाढ़ में बह गया था. भारत पर भी इसका भारी असर पड़ा था.
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