मिल गई कोरोना की दवा, कहा ब्रिटेन ने

दुनिया के चिकित्सा वैज्ञानिक दिन-रात एक किये हुए हैं और ढूंढ रहे हैं जानलेवा महामारी पैदा करने वाले कोरोना वायरस की दवा. इस बीच ब्रिटेन ने आशा जताई है कि उन्होंने कोरोना से जान बचाने वाली दवाई की खोज कर ली है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 17, 2020, 07:24 PM IST
    • ब्रिटेन का दावा - मिल गई कोरोना की दवा !
    • कम मात्रा में उपयोग वाली है ये दवा
    • डेक्सामेथासोन है नाम इस दवा का
    • वेन्टीलेटर के एक तिहाई रोगियों की जान बचाई
मिल गई कोरोना की दवा, कहा ब्रिटेन ने

नई दिल्ली.  ब्रिटेन के चिकित्सा वैज्ञानिक अपने इस अनुसंधान को लेकर जितने उत्साहित हैं उतने ही आशावादी भी. इस दवा के सभी मानकों पर खरे उतरते ही ब्रिटेन ने दुनिया के मंच पर इसकी जानकारी साझा करते हुए कहा कि हमें कोरोना वायरस की दवा मिल गई है, हमारे द्वारा निर्मित डेक्सामेथासोन कोरोना संक्रमण से जान बचाने वाली पहली दवा साबित हुई है.

 

कम मात्रा में उपयोग वाली है ये दवा

ब्रिटेन के चिकित्सा वैज्ञानिकों का दावा है कि इस दवा के कम मात्रा में इस्तेमाल के द्वारा कोरोना के विरुद्ध जंग जीत ली गई है. इस दवा का सभी मानकों पर आपेक्षित रूप से खरा उतरना कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में अब मील का पत्थर बनने वाला है. दवा के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि जल्दी ही दवा को बाजार में उतारा जाएगा.

डेक्सामेथासोन है नाम इस दवा का

ब्रिटेन में डेक्सामेथासोन पिछले साठ सालों से गठिया और अस्थमा के रोगियों को दी जाने वाली दवा के रूप में जानी जाती रही है. अब कोरोना के जिन रोगियों की वेंटिलेटर पर निर्भरता है, ऐसे कोरोना-रोगियों में से एक तिहाई रोगियों की जान बचाने में डेक्सामेथासोन कामयाब देखी जा रही है. वेंटिलेटर के निर्भर कोरोना रोगियों में से आधे रोगी भी बचाये नहीं जा पा रहे थे किन्तु इस दवा की बदौलत एक तिहाई रोगियों की जान बचाने में सफलता मिली है.

एक तिहाई रोगियों की जान बचाई

जिन मरीज़ों को गंभीर रूप से बीमार पड़ने की वजह से वेंटिलेटर का सहारा लेना पड़ रहा है, उनके मरने का जोखिम क़रीब एक तिहाई इस दवा की वजह से कम हो जाता है. जिन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत पड़ रही है, उनमें पांचवें हिस्से के बराबर मरने का जोखिम कम हो जाता है.=

शुरू में इस्तेमाल होता तो बहुत जानें बचतीं

शोधकर्ताओं ने अफ़सोस जताया कि यदि यह पहले पता चल जाता तो इसका ब्रिटेन में पहले इस्तेमाल हो जाता और कोरोना से मरने वाले क़रीब पाँच हज़ार लोगों की जान बचाई जा सकती थी. सस्ती होना इस दवा की दूसरी गुणवत्ता है इसलिए यह दवा ग़रीब देशों के लिए भी काफ़ी फ़ायदेमंद सिद्ध हो सकती है.

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