हार का डर नहीं, लड़ने का जुनून: 78 साल के 'धरती पकड़' की 100वें चुनाव की तैयारी
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हार का डर नहीं, लड़ने का जुनून: 78 साल के 'धरती पकड़' की 100वें चुनाव की तैयारी

Dharti Pakad Hasnuram Ambedkari: यूपी के आगरा जिले के निवासी 78 वर्षीय हसनुराम अंबेडकरी 100 चुनाव लड़ने का अद्भुत रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर हैं. उन्हें 'धरती पकड़' के नाम से भी जाना जाता है. 1985 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरने के बाद वे लगातार चुनाव लड़ रहे हैं.

 

फोटो क्रेडिट: दैनिक जागरण

UP Lok Sabha Chunav: यूपी के आगरा जिले के निवासी 78 वर्षीय हसनुराम अंबेडकरी 100 चुनाव लड़ने का अद्भुत रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर हैं. उन्हें 'धरती पकड़' के नाम से भी जाना जाता है. 1985 में पहली बार चुनावी मैदान में उतरने के बाद वे लगातार चुनाव लड़ रहे हैं, भले ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा हो. मनरेगा मजदूर के रूप में जीवन यापन करने वाले हसनुराम अंबेडकरी का कहना है, "मुझे पता है कि इस बार भी मैं दोनों सीटों पर हार जाऊंगा. लेकिन मेरा लक्ष्य 100वीं बार चुनाव लड़ना है और उसके बाद मैं कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा." वह पहले से ही 98 बार चुनाव में हार चुके हैं, लेकिन हौसले अभी भी बुलंद हैं.

धरती पकड़ लड़ने जा रहे अपना 100वां चुनाव

खेरागढ़ तहसील के निवासी अंबेडकरी ने 1985 में अपना पहला चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था.  खेरागढ़ विधानसभा सीट से वह बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के उम्मीदवार के खिलाफ निर्दलीय लड़ाई की थी. फिलहाल, इस बार वह आगरा सुरक्षित सीट और फतेहपुर सीकरी सीट से नामांकन दाखिल करने की तैयारी है. बीते शुक्रवार को उनके हाथ में नामांकन पत्र देखने को मिले. हसनुराम अंबेडकरी का कहना है कि उन्होंने ग्राम प्रधान, राज्य विधानसभा, ग्राम पंचायत, एमएलए, एमएलसी और लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा है. लगातार चुनाव लड़ने और हारने के जुनून ने उन्हें 'धरती पकड़' का उपनाम दिया.

राष्ट्रपति पद के लिए भी की थी अपनी उम्मीदवारी दाखिल

धरती पकड़ ने कहा, "मैंने भारत के राष्ट्रपति पद के लिए भी अपनी उम्मीदवारी दाखिल की थी लेकिन वह खारिज कर दी गई." अंबेडकरी ने अपनी प्रेरणा के बारे में बताया, "मैंने 1984 में अपनी 'अमीन' की नौकरी छोड़ दी थी क्योंकि बसपा ने मुझे खेरागढ़ सीट से चुनाव लड़ने का टिकट देने का वादा किया था. लेकिन बाद में, क्षेत्रीय संयोजक ने मुझे टिकट देने से इनकार कर दिया और मेरा मजाक उड़ाया." क्षेत्रीय संयोजक ने कहा था कि तुम्हें तुम्हारी बीवी भी वोट नहीं देगी, तो और कोई तुम्हें क्या वोट देगा. इस अपमान के बाद उन्होंने ठान लिया और कहा, "अपमान का बदला लेने के लिए मैंने चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहा."

हसनुराम अंबेडकरी ने कहा, "मैंने यह साबित करने के लिए और अधिक चुनाव लड़ने का फैसला किया कि मुझे भी लोगों से वोट मिल सकते हैं." आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जोगिंदर सिंह ने 300 से अधिक चुनाव लड़े थे जिनमें राष्ट्रपति चुनाव भी शामिल है. (इनपुट भाषा से भी)

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