Knowledge Fact: एक भारतीय जिसने अपने चावल से मिटाई दुनिया की भूख, जानिए क्यों लोग इन्हें कहते हैं 'राइस मैन'
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Knowledge Fact: एक भारतीय जिसने अपने चावल से मिटाई दुनिया की भूख, जानिए क्यों लोग इन्हें कहते हैं 'राइस मैन'

Indian Rice Man: भारत में हरित क्रांति का जब भी जिक्र होगा उसमें गुरदेव सिंह खुश का नाम जरूर शामिल किया जाएगा. गुरदेव सिंह खुश ने चावल की वो किस्में पैदा की जिसने दुनियाभर का पेट भरा.

फाइल फोटो

Father Of Super Rice In India: दुनिया भर में 'राइस मैन' के नाम से मशहूर गुरदेव सिंह खुश का नाम दुनियाभर में धान के लिए हरित क्रांति में हमेशा याद रखा जाएगा. इनकी खोजी गई चावल की ब्लॉकबस्टर IR36 और IR64 किस्में दुनियाभर में उगाई गई. आपको ये जानकर हैरानी होगी लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जितने बड़े पैमाने इनके चावलों को दुनिया भर में उगाया गया, इतना किसी और फसल को कभी नहीं उगाया गया. आज भी चावल की इस किस्म को बड़े पैमाने पर खाया जाता है.

गुरदेव सिंह का किस्सा ऐसे हुआ शुरू

गुरदेव सिंह का जन्म 22 अगस्त, 1935 को पंजाब के जालंधर में हुआ था. इनके बारे में एक दिलचस्प बात जानकर आप चौंक जाएंगे कि दुनिया के इस राइस मैन ने अपने उम्र के 32 सालों तक कभी धान के खेत नहीं देखे थे. खुश ने 1955 में एग्रीकल्चर कॉलेज लुधियाना से ग्रेजुएशन पूरा किया. पढ़ाई में अच्छे खुश को उनके अच्छे नंबरों की बदौलत कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस (यूसीडी) में मास्टर्स के लिए आसानी से एडमिशन मिल गया. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि खुश का रिसर्च चावल पर ना होकर राई पर था. साल 1966 में उनको अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) से बुलावा आया.

IR36 और IR64 की खोज का जाता है श्रेय

अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) चावल के शोध के लिए जाना जाता है. खुश ने IRRI (International Rice Research Institute) में ही चावल की IR36 और IR64 किस्मों की खोज की है जो चावल की काफी अच्छी नस्ल मानी जाती है, जिसे आज भी दुनिया भर में उगाया जाता है. आपको बता दें कि खुश ने अपनी मेहनत से 300 से भी ज्यादा चावल के किस्मों की खोजा था. खुश ने IRRI में राइस ब्रीडर के तौर पर काम करना शुरू किया था.     

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