भारत के लिए मेडल लाने वाला ये नेशनल खिलाड़ी कर रहा मजदूरी, रोज 450 बोरी ढोकर कमाने पर मजबूर
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भारत के लिए मेडल लाने वाला ये नेशनल खिलाड़ी कर रहा मजदूरी, रोज 450 बोरी ढोकर कमाने पर मजबूर

Punjab Hockey Player: पूर्व हॉकी खिलाड़ी प्रत्येक बोरी के लिए 1.25 रुपये कमाते हैं और जीवन यापन करने के लिए दिन में 450 बोरी उठाते हैं. राज्य स्तरीय हॉकी खिलाड़ी की दुर्दशा पर सोशल मीडिया यूजर्स का दिल टूट गया. इंटरनेट के एक वर्ग ने सरकार से परमजीत कुमार की मदद करने की भी गुहार लगाई है.

 

भारत के लिए मेडल लाने वाला ये नेशनल खिलाड़ी कर रहा मजदूरी, रोज 450 बोरी ढोकर कमाने पर मजबूर

Former India Junior Hockey Player: ज्यादातर भारतीयों के लिए खेल का मतलब क्रिकेट है. क्रिकेट के अलावा भी कई ऐसे खेल हैं जो खिलाड़ी अपने देश को रिप्रेजेंट करते हैं. हालांकि, एक ऐसा मामला सामने आया है जिसके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे. राज्य स्तर के होनहार पंजाब हॉकी खिलाड़ी परमजीत कुमार ने एक बार राज्य स्तर के हॉकी खिलाड़ी के रूप में पंजाब का नाम रौशन किया था. वह न केवल भारतीय खेल प्राधिकरण, पीईपीएसयू और टीम पंजाब का हिस्सा थे, बल्कि जूनियर हॉकी नेशनल में पदक भी जीते थे. वह 2007 में भारतीय जूनियर हॉकी टीम का हिस्सा थे. हालांकि, आज वह फरीदकोट मंडी में एक 'पल्लेदार' के रूप में एक दिन की शिफ्ट में बोरे लोड और अनलोड करते हैं.

बोरी उठाकर जीवन व्यतीत कर रहा खिलाड़ी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व हॉकी खिलाड़ी प्रत्येक बोरी के लिए 1.25 रुपये कमाते हैं और जीवन यापन करने के लिए दिन में 450 बोरी उठाते हैं. राज्य स्तरीय हॉकी खिलाड़ी की दुर्दशा पर सोशल मीडिया यूजर्स का दिल टूट गया. इंटरनेट के एक वर्ग ने सरकार से परमजीत कुमार की मदद करने की भी गुहार लगाई है. अन्य लोग खिलाड़ी की मदद करने के तरीके खोजने की कोशिश में आगे आए हैं और इस स्थिति के बारे में अपनी निराशा भी व्यक्त की. एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “जीवित रहने के उनके ईमानदार प्रयासों के लिए मैं उन्हें सलाम करता हूं, भले ही सरकार या खेल परिषदों ने उनके मूल्यों की उपेक्षा की हो; काम पूजा है!"

पैसे कमाने के लिए बोरी ढुलाई का करता है काम

एक अन्य यूजर ने लिखा, 'शर्म आ रही है, अपने राष्ट्रीय खेल खिलाड़ी की दुर्दशा देखकर, लेकिन यह कोई आश्चर्य की बात नहीं.' एक अन्य ने ट्वीट में लिखा, "यही कारण है कि माता-पिता अपने बच्चों को खेल को अपने पेशे के रूप में लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं." मीडिया से बात करते हुए परमजीत कुमार ने कहा कि उनके काम के बारे में बहुत से नहीं जानते हैं, लेकिन जब एक बार पता चलता है तो वे हमेशा उसकी पीठ थपथपाते हैं. हॉकी खिलाड़ी ने कहा कि खेल से उन्हें यही एकमात्र इनाम मिला है. परमजीत का पालन-पोषण फरीदकोट में हुआ था और सरकारी बिजेंद्र कॉलेज में कोच बलतेज इंदपाल सिंह बब्बू द्वारा हॉकी में सबक ली.

परमजीत को 2004 में NIS, पटियाला में भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के प्रशिक्षण केंद्र के लिए चुना गया था. उसके बाद 2007 में उन्हें NIS, पटियाला में हॉकी के लिए उत्कृष्टता केंद्र के लिए चुना गया था.

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