डेरेक रोटोंडो 2017 में दूसरी बार पिता बने. उन्होंने कंपनी से छुट्टी मांगी, लेकिन नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने कंपनी के खिलाफ 2017 में मुकदमा दर्ज कर दिया.
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नई दिल्ली: मैटर्निटी लीव के बारे में आप सभी जानते हैं. जब किसी बच्चे का जन्म होता है तो उसकी मां को यह छुट्टी दी जाती है. लेकिन, अमेरिका का यह मामला पैटर्निटी लीव से जुड़ा है. वित्तीय सेवाएं देने वाली MNC जेपी मोर्गन चेज को अपने एक कर्मचारी को पैटर्निटी लीव नहीं देना महंगा पड़ गया. लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने कंपनी को 35 करोड़ रुपये हर्जाने के रूप में जमा करने को कहा है.
ACLU ने सुनाया फैसला
डेरेक रोटोंडो 2017 में दूसरी बार पिता बने. उन्होंने कंपनी से छुट्टी मांगी, लेकिन नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने कंपनी के खिलाफ 2017 में मुकदमा दर्ज कर दिया. अमेरिकन सिविल लबर्टीज यूनियन (ACLU) ने कंपनी को 35 करोड़ चुकाने का आदेश दिया है. यह इस तरह का पहला मामला है. कोर्ट के आदेश पर डेरेक ने कहा कि वह केवल अपने बच्चे के साथ समय बिताना चाहते थे. उन्होंने पैटर्निटी लीव नहीं देने को पुरुषों के साथ भेदभाव बताया.
कंपनी ने कहा कि वह प्राइमरी केयरगिवर नहीं
कंपनी की तरफ से दलील दी गई कि पुरुषों को 16 हफ्ते की पेड लीव तभी मिल सकती है, अगर बच्चे की मां काम पर जा रही हो और वह प्राइमरी केयरगिवर के रूप में हो. इसी को आधार मानते हुए जेपी मोर्गन ने डेरेक को केवल दो हफ्ते की छुट्टी की इजाजत दी थी, जिसके खिलाफ वे कोर्ट चले गए थे.
जेंडर न्यूट्रैलिटी को लेकर उठाया सवाल
कोर्ट के आदेश पर जेपी मोर्गन ने कहा कि वह जेंडर-न्यूट्रैलिटी पैरेंटल लीव पॉलिसी को लागू करेंगे. कंपनी के इस फैसले पर डेरेक ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि कंपनी अब माता-पिता दोनों को पैटर्निटी लीव के समान अवसर देगी. बता दें,बच्चों के हितों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र की सहायक संस्था यूनिसेफ भी पुरुषों को 16 सप्ताह की पेड पैरेंटल लीव देने की वकालत करती है