5 Colors में बहती है ये धारा, धरती पर देती है जन्‍नत का एहसास
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5 Colors में बहती है ये धारा, धरती पर देती है जन्‍नत का एहसास

कभी बारिश के साथ इंद्रधनुष के 7 रंग आसमान में छलक कर चौंका देते हैं तो कभी सूरज और चांद की भाव-भंगिमाएं हमारे अंदाज को शायराना कर देती हैं. आज जानिए 5 रंगों वाली नदी के बारे में.

फोटो साभार: ट्विटर

नई दिल्ली: कुदरत हमें हैरान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ती है. कभी बारिश के साथ इंद्रधनुष के 7 रंग आसमान में छलक कर चौंका देते हैं तो कभी सूरज और चांद की भाव-भंगिमाएं हमारे अंदाज को शायराना कर देती हैं. आज हम आपको एक ऐसी नदी (River) के बारे में बता रहे हैं, जिसमें 5 रंग नजर आते हैं.

  1. दुनिया में एक नदी ऐसी है, जिसमें 5 रंग नजर आते हैं
  2. इस नदी का नाम कान्यो क्रिस्तालेस है
  3. इसके 5 रंगों के पीछे की कहानी काफी रोचक है

5 रंगों वाली खूबसूरत नदी
आमतौर पर नदी के पानी का रंग नीला या सफेद नजर आता है. उस पर सूरज की तेज किरणें पड़ रही हों तो उनका अक्स भी नजर आ सकता है. आस-पास अंधेरा गहरा गया हो या पानी गंदा हो तो नदी के पानी का रंग काला भी प्रतीत हो सकता है. हालांकि, दक्षिण अमेरिका (South America) के महाद्वीप कोलंबिया (Columbia) में एक ऐसी नदी है, जिसके पानी में 5 रंग नजर आते हैं. यह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है और बेहद खूबसूरत लगती है. इस नदी का नाम कान्यो क्रिस्तालेस (Cano Cristales) है, जो कि एक स्पैनिश (Spanish) शब्द है. अंग्रेजी में इसका मतलब होता है क्रिस्टल चैनल (Crystal Channel).

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कुछ समय के लिए बदलता है रंग
इस नदी का रंग आमतौर पर साल के अधिकतर समय बाकी नदियों जैसा ही रहता है. लेकिन साल के कुछ समय में यह नदी अचानक से रंग बदलने लगती है. उस समय इसे देखकर जन्नत सा एहसास होता है, ऐसा लगता है कि मानो इंद्रधनुष नदी में उतर आया हो या किसी चित्रकार ने अपनी कूची से सुंदर रंगों से उसे भर दिया हो.

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रंग बदलने के पीछे है यह वजह
उस इलाके के गीले व सूखे मौसमों के बीच के कुछ महीनों में नदी की तली में छिपा एक अनूठा पौधा मैकेरिना क्लेविगेरा (Macarina Clavigera) चटख लाल रंग में बदलने लगता है. उसी में धीरे-धीरे बाकी रंग भी आकार लेने लगते हैं- पीला, नीला, नारंगी और हरा. इन पांच रंगों के मेल से बनने वाले कई और रंग भी पानी में नजर आने लगते हैं. दरअसल बारिश के मौसम में इस नदी में पानी इतना गहरा और तेज बहता है कि इस पौधे पर सूरज की ज्यादा रोशनी नहीं पहुंच पाती है, जो उसे लाल रंग में तब्दील होने में मदद दे. फिर बाद के शुष्क मौसम में पानी इतना कम हो जाता है कि उसमें किसी वनस्पति जीवन के पनपने की संभावना कम रहती है. लिहाजा रंगों का यह चमत्कार बीच के उन महीनों का है, जब पानी शांत होता है और उसका स्तर बस इतना होता है कि पौधों को जीवन मिलता रहे और उन तक सूरज की हल्की रोशनी पहुंचती रहे. नदी का यह खूबसूरत रंग उन पौधों का है, जो पानी के पार साफ नजर आते हैं. ऐसा सितंबर से नवंबर के बीच होता है.

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