300 रुपये दिहाड़ी मजदूर को मिला 80 लाख रुपये का हीरा, चुटकी बजाते ही बदली किस्मत
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300 रुपये दिहाड़ी मजदूर को मिला 80 लाख रुपये का हीरा, चुटकी बजाते ही बदली किस्मत

Trending News: एक मजदूर का दावा है कि पन्ना खदान में एक बड़ा हीरा मिलने के बाद उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया. 40 वर्षीय राजू गोंड ने कुछ दिनों पहले 19.22 कैरेट का हीरा देखा था, और...

 

300 रुपये दिहाड़ी मजदूर को मिला 80 लाख रुपये का हीरा, चुटकी बजाते ही बदली किस्मत

Viral News: मध्य प्रदेश के एक मजदूर का दावा है कि पन्ना खदान में एक बड़ा हीरा मिलने के बाद उनका जीवन हमेशा के लिए बदल गया. 40 वर्षीय राजू गोंड ने कुछ दिनों पहले 19.22 कैरेट का हीरा देखा था, और उम्मीद है कि यह सरकारी नीलामी में लगभग 80 लाख रुपये लाएगा. सीएनएन के अनुसार, गोंड अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए दिहाड़ी मजदूरी का काम करता है. वह आमतौर पर मध्य प्रदेश में अमीर किसानों के लिए खेतों में काम करने या ट्रैक्टर चलाने पर प्रति दिन लगभग 300 रुपये कमाता है. राजू गोंड और उनके भाई राकेश कभी-कभी 690 वर्ग फुट के सरकारी प्लॉट पर सोने की खान के लिए प्रति दिन 800 रुपये की मजदूरी करता है. 

हीरा मिलने के बाद मजदूर ने क्या कहा?

मजदूर ने दावा किया कि पिछले बुधवार को उसे कीमती रत्न मिला. राजू गोंड ने सीएनएन को अपनी खुशी व्यक्त की और कहा,  "यह शानदार ढंग से चमक रहा था; मुझे पता था कि यह एक हीरा है!" एक हीरा खोजने में दिहाड़ी मजदूर को 10 साल लग गए. द इंडियन एक्सप्रेस ने उनके हवाले से कहा, "मैंने इस पत्थर को पाने के लिए पूरी दोपहर काम किया. हालांकि, यहां तक पहुंचने के लिए मैंने दस साल का काम किया था."

हीरा देखकर अधिकारी ने कहा ऐसा

राजू और राकेश गोंड हीरे का आकलन कराने के लिए पास के पन्ना डायमंड ऑफिस ले गए. आधिकारिक हीरा परीक्षक अनुपम सिंह ने सीएनएन को बताया कि 19.22 कैरेट के हीरे की कीमत लगभग 80 लाख रुपये आंकी गई है. अनुपम सिंह ने विस्तार से बताया, "1961 में किसी को 54.55 कैरेट का हीरा मिला था, फिर 2018 में किसी को 42 कैरेट का हीरा मिला था, और अब यह मिला है."

पिछले 10 साल से खोजा जा रहा हीरा

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि राजू गोंड पिछले 10 साल से पन्ना की हीरा संपदा में रत्न की तलाश कर रहे थे. रत्न खोजने की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए उन्होंने सीएनएन को बताया, “हमें एक फॉर्म भरना होता है, पहचान का प्रमाण देना होता है, फोटो देना होता है और सरकार को 800 रुपये का भुगतान करना होता है.” मजदूर ने बताया, “जब हम वहां अपनी वर्तमान खोज पूरी कर लेंगे तो हम एक अलग प्लॉट पर हीरे की खोज के लिए फिर से आवेदन कर सकते हैं.”

जब उनसे पूछा गया कि वह इतनी बड़ी रकम का क्या करेंगे, तो राजू गोंड ने कहा कि वह अपने बच्चों की शिक्षा का ख्याल रखना चाहते हैं.आगे बताया कि उन्हें उम्मीद है कि उनकी आर्थिक तंगी कम होगी. इसके अलावा 5 लाख रुपये के कर्ज का निपटारा करना है. बिक्री से मिले पैसे से वह घर बनाने और खेती के लिए कुछ जमीन खरीदने की भी प्लानिंग बना रहे हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार की रॉयल्टी और टैक्स हटाने के बाद उन्हें कितना मिलेगा.

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