1880 के दशक में जेम्स एडविन वाइड (James Edwin Wide) नाम के रेलवे सिग्नलमैन की ट्रेन हादसे में दोनों पैर चले गए. इसके बाद उसने अपने पैरों में लड़की के नकली पैर लगवाएं और काम पर फिर लौट आया. हालांकि, उसकी कार्यक्षमता पहले की तरह तेज नहीं थी.
एक बार वह दक्षिण अफ्रीका के एक बाजार का दौरा कर रहा था, जब उसने देखा कि एक लंगूर बैलगाड़ी चला रहा था. उसने सोचा क्यों न इसे अपने काम के लिए खरीद लिया जाए. उसके स्किल से प्रभावित होकर जेम्स वाइड ने उसे मार्केट से खरीद लिया और उसका नाम जैक रख दिया.
जेम्स वाइड को मदद की जरूरत थी. उसने लंगूर को अपना निजी सहायक बना लिया और उसे ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी. सबसे पहले उसने जैक को प्रशिक्षित किया कि वह उसे एक छोटी ट्रॉली में लेकर आ-जा सके. जल्द ही जैक घर के कामों में, जैसे फर्श पर झाडू लगाने और कचरा बाहर निकालने में भी मदद करने लगा. लेकिन सिग्नल बॉक्स वह जगह है जहां जैक वास्तव में चमका.
धीमे-धीमे वह सिग्नल स्टेशन के लगभग सारे कामों को सीख गया और अपने मालिक की मदद करने लगा. द रेलवे सिग्नल के अनुसार, वाइड ने लंगूर को इतने अच्छे तरीके से प्रशिक्षित किया कि वह सभी कामों में निपुण हो गया. एक दिन एक दिन एक पॉश ट्रेन के यात्री ने खिड़की से बाहर देखा कि एक लंगूर, न कि एक इंसान, सिग्नल पर गियर्स बदल रहा था और रेलवे अधिकारियों से शिकायत की.
रेलवे प्रबंधकों ने लंगूर की क्षमताओं का परीक्षण करके शिकायत को हल करने का निर्णय लिया. वे चकित हो गए. 1890 में रेलवे अधीक्षक जॉर्ज बी होवे ने लिखा, 'जैक सिग्नल की सीटी और हर एक लीवर को भी जानता है. जैक को कथित तौर पर एक आधिकारिक रेलवे का कर्मचारी बनाया गया. उसे प्रति दिन 20 सेंट और साप्ताहिक बीयर की आधी बोतल का भुगतान किया गया. 1890 में तपेदिक के विकास के बाद जैक का निधन हो गया. वह बिना किसी गलती के नौ साल तक रेलवे का काम किया.
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