आपने टीवी पर आने वाली महाभारत (Mahabharat Serial) देखी होगी या महाभारत से जुड़ी कहानियां (Mahabharat Story) सुनी होंगी. कहा जाता है कि पांडव (Pandavas Mother) पांच थे, जो कुंती के पुत्र थे. वहीं, कौरव 100 भाई थे, जो गांधारी (Kauravas Mother) और धृतराष्ट्र के पुत्र थे. यह तो सभी जानते हैं कि पांडव और कौरवों के बीच जो लड़ाई हुई थी, उसे ही महाभारत (Mahabharat Facts) का नाम दिया गया था. महाभारत से जुड़ी कई ऐसी कहानियां हैं, जो हैरान कर देने वाली हैं और उसी कहानी में से एक है, कौरवों के जन्म की कहानी (Kaurav Birth Story). आम इंसान यह जानकर हैरान हो जाता है कि आखिर गांधारी 100 पुत्रों को कैसे जन्म दे सकती है.
कौरव धृतराष्ट्र (Dhritrashtra) और गांधारी (Gandhari- Kauravas Mother) के पुत्र थे. इन दोनों की दुशाला नाम की एक पुत्री भी थी (Dushala). वहीं, सबसे बड़े कौरव का नाम था दुर्योधन (Duryodhan), जो महाभारत (Mahabharat Facts) के सबसे अहम पात्रों में से एक है. कौरवों ने महाभारत में पांडवों (Pandavas) की सेना से युद्ध किया था और पराजित भी हो गए थे. हालांकि, कहा जाता है कि धृतराष्ट्र के अपनी दासी के साथ संबंध की वजह से एक और पुत्र हुआ था, जिसका नाम ‘युतुत्सु’ (Yututsu Mahabharat) बताया जाता है.
प्रचलित कहानियों (Indian Mythologies) के आधार पर एक बार गांधारी (Gandhari) की सेवा से खुश होकर ऋषि व्यास (Rishi Vyas) ने गांधारी को एक वरदान दिया था. कहा जाता है कि ऋषि व्यास ने ही गांधारी को 100 पुत्रों की मां होने का आशीर्वाद दिया था. इसके बाद गांधारी गर्भवती हुईं और 9 महीने के बजाय दो साल तक गर्भवती रहीं. फिर उन्होंने एक मांस के टुकड़े को जन्म दिया यानी गांधारी को एक भी संतान नहीं हुई. इसके बाद खुद ऋषि व्यास ने इस मांस के टुकड़े को 101 हिस्सों में विभाजित किया और अलग-अलग घड़ों में रखवा दिया.
101 घड़ों में रखे गए मांस के टुकड़ों से बच्चों का विकास हुआ और धीरे-धीरे सभी उन घड़ों से जो बच्चे निकले, उन्हें ही कौरव (First Test Tube Baby) कहा गया. 101 घड़ों में से 100 तो कौरव भाई (Kaurav Birth Story) निकले, जबकि एक घड़े से दुशाला (Dushala) ने जन्म लिया था, जो 100 कौरवों की अकेली बहन थी. इस प्रकार 100 कौरवों का जन्म हुआ थी. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कौरवों के जन्म की यह कहानी सबसे ज्यादा प्रचलित है.
कौरवों की मौत (Kauravas Death Story) की वजह गांधारी द्वारा किया गया एक काम बताया जाता है. पौराणिक कथाकार देवदत्त पटनायक (Devdutt Pattanaik) की किताब ‘मिथक’ में भी इस बात का जिक्र है. उन्होंने लिखा है कि किसी जन्म में गांधारी ने 100 कछुओं को मार दिया था, जिसके बाद अगले जन्म में उनके 100 पुत्रों की मौत हो गई. इसे एक श्राप के समान माना जाता है.
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