30 जून, 1908 को रूस के तुंगुस्का में एक जबर्दस्त घटना (Tunguska Event) हुई थी. इसमें एक विशाल एस्टेरॉयड (Asteroid) (उल्का पिंड) पृथ्वी से टकरा गया था. इस टक्कर में जमीन में 8 किमी गहरा गड्ढा हो गया था. तब से ही इस दिन को वर्ल्ड एस्टेरॉयड डे (World Asteroid Day History) के तौर पर मनाया जाने लगा.
30 जून 1908 को लोगों ने धरती पर सूर्य के जैसी बहुत तेज और चमकीली रोशनी देखी थी. दस मिनट के अंदर जोरदार धमाके की आवाज आई (Tunguska Explosion). चश्मदीदों की मानें तो यह धमाका इतना जोरदार था कि जमीन किसी भूकंप की तरह थर्रा उठी थी. सैकड़ों किलोमीटर दूर तक लोगों के घरों की खिड़कियां टूट गई थीं. ढाई हजार किलोमीटर के दायरे में 8 करोड़ पेड़ जड़ से उखड़ गए थे.
30 जून 1908 को स्थानीय समय के हिसाब से सुबह लगभग 07:17 बजे रूसी वासियों ने आकाश में चारों ओर घूमते हुए एक चमकीली रोशनी देखी. फिर कुछ देर बाद एक बड़ा सा आग का गोला धरती की तरफ बढ़ते हुए नजर आया. विस्फोट (Tunguska Explosion Facts) के पास मौजूद लोगों की मानें तो ध्वनि का स्रोत पूर्व से उत्तर की ओर चला गया था. इस कंपन का अहसास जर्मनी (Germany), डेनमार्क (Denmark), क्रोएशिया (Croatia) और यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) के लोगों को भी हुआ था.
रिक्टर स्केल (Rictor Scale) पर इसकी (Tunguska Event History) तीव्रता 5 पॉइंट मापी गई थी, जो प्रभावशाली भूकंप (Earthquake) के बराबर होती है. इस विस्फोट के अगले कुछ दिनों में एशिया और यूरोप में रात के समय आसमान असामान्य हो गया था. लंबे समय तक धूल के गुबार नहीं छंट सके थे, जिसकी वजह से पर्यावरण (Environment) पूरी तरह प्रभावित रहा था. यह एक ऐसी घटना थी, जिसे 113 साल बाद भी सबसे प्रभावशाली प्राकृतिक व खगोलीय घटना माना जाता है.
जिस जगह पर तुंगुस्का विस्फोट (Tunguska Explosion) हुआ था, वह जगह आज तक बंजर है. 113 साल बाद भी वहां एक भी पेड़ नहीं उग सका है.
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