Tea History: हम सब दिन भर में कई कप चाय पीते हैं, क्या आपको पता है कि इसकी खोज कैसे और कहां हुई. चाय के बारे में बताया जाता है कि चीनी बादशाह शेन नुंग का खास कनेक्शन था.
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Tea History Connection with China: चाय, अब हमारी जिंदगी अहम हिस्सा हो चुका है, सुबह नींद खुलने के साथ ही चाय की तलब, तफरी करनी हो तो चाय की जरूरत, तनाव में हों तो चाय की आवश्यकता. आप यह मान सकते हैं कि अगर चाय ना मिले तो कुछ अधूरा सा लगता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि चाय का किस देश से संबंध है. अगर बात मौजूदा समय की करें तो भारत चाय का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है हालांकि इसकी बुनियाद चीन से है. ऐसा कहा जाता है कि ईसा पूर्व 2727 साल पहले चीन के बादशाह शेन नंग एक पेड़ के नीचे बैठे थे और उनका नौकर पानी उबाल रहा था उसी वक्त कुछ पत्ते खौलते पानी में गिरा और रंग बदल गया. उस पानी को जब शेन नंग ने पीया तो जीभ को स्वाद भा गया और इस तरह दुनिया को चाय के बारे में पता चला.
चाय का सफरनामा
चाय पीने के शुरुआती दिनों में, पत्तियों को तोड़ लिया जाता था और उन्हें पानी में उबालकर पीने के लिए तैयार किया जाता था. चाय की पत्तियों का उपयोग पहले दवाओं के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था. पूरे चीनी साम्राज्य में चाय को एक लोकप्रिय पेय बनने में 3000 साल से अधिक समय लग गया. तांग राजवंश (600-900 ईस्वी) के दौरान चाय की लोकप्रियता को कर लगाकर मान्यता दी गई थी. मिंग राजवंश के समय उबली हुई और सूखी ढीली चाय की पत्तियां प्रचलन में आई. हरी चाय की यह शैली चीन के बाहर अच्छी तरह से कायम नहीं रही या यात्रा नहीं कर पाई।
चीन से यूरोप तक सफर
19वीं शताब्दी के दौरान, चाय पीना ब्रिटिश सामाजिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया। पारिवारिक चाय, पिकनिक चाय, टेनिस चाय और शानदार दोपहर की चाय सहित सभी संभावित अवसरों के लिए चाय पार्टियां और कार्यक्रम आयोजित किए गए. वर्षों से, हाउसकीपिंग मैनुअल और कुकबुक में चाय के समय के निमंत्रण, शिष्टाचार, शराब बनाने और परोसने के तरीके, पोशाक और टेबलवेयर के बारे में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं.
चाय पार्टी सुंदरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाने लगा.जापान के लोग चाय को चा (Cha)बोलते हैं हालांकि सम्मान के लिए उसमें o अक्षर जोड़ देते हैं जिसकी वजह से Ocha भी कहा जाता है. अगर चीन की बात करें तो सिचुआन, हुनान, जिंग्सू, झेजियांग और उत्तरी चीन में Chai या Cha बोला जाता है, जबकि फूझो, फुजियान में इसे Ta कहते हैं. जियामेन और शैंटो में इसे टे कहते हैं. जापान, रूस और दूसरे देशों में इसे चा ही बोलते हैं.