Weird Festival: एक ऐसा त्योहार जिसे सिर्फ मनाते हैं बच्चे, मंदिर जाकर मांगी जाती है ऐसी दुआएं
Advertisement
trendingNow12509730

Weird Festival: एक ऐसा त्योहार जिसे सिर्फ मनाते हैं बच्चे, मंदिर जाकर मांगी जाती है ऐसी दुआएं

Weird Festival In Japan: जापान में 15 नवंबर को मनाया जाने वाला "शिची-गो-सान" (Shichi-Go-San), जिसका अर्थ है "सात-पांच-तीन". यह एक पारंपरिक त्योहार है जो बच्चों के विकास और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है.

 

Weird Festival: एक ऐसा त्योहार जिसे सिर्फ मनाते हैं बच्चे, मंदिर जाकर मांगी जाती है ऐसी दुआएं

Weird Festival Shichi-Go-San: जापान में 15 नवंबर को मनाया जाने वाला "शिची-गो-सान" (Shichi-Go-San), जिसका अर्थ है "सात-पांच-तीन". यह एक पारंपरिक त्योहार है जो बच्चों के विकास और उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता है. इस दिन, परिवार अपने तीन और सात साल की लड़कियों और पांच साल के लड़कों को रंग-बिरंगे किमोनो पहनाकर शिंतो मंदिरों में ले जाते हैं, जहां वे बच्चों की सेहत और भविष्य में सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं.

क्या है शिची-गो-सान का महत्व?

शिची-गो-सान जापान में बच्चों के विकास के महत्वपूर्ण मोड़ों का उत्सव है. इसे खासतौर पर तीन, पांच और सात साल की उम्र में मनाया जाता है. यह त्योहार हर साल नवंबर महीने में मनाया जाता है, लेकिन खासकर 15 नवंबर को इसे विशेष रूप से मनाया जाता है. इस दिन को मनाने की परंपरा का आरंभ हियान काल (794-1185) से हुआ था, जब यह रिवाज जापान के शाही परिवार में शुरू हुआ था और धीरे-धीरे यह समुराई और आम लोगों तक फैल गया.

तीन, पांच और सात का महत्व

जापान की संस्कृति में तीन, पांच और सात की उम्र विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इन्हें बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण विकास और परिपक्वता के संकेत के रूप में देखा जाता है:

तीन साल (San): यह उम्र लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इस उम्र में बच्चे अपने शिशु रूप से बाहर निकलकर बचपन के नये चरण में कदम रखते हैं. समुराई काल में, इस उम्र के बाद लड़कों के सिर के बाल फिर से उगने शुरू होते थे.

पांच साल (Go): यह उम्र खासकर लड़कों के लिए मनाई जाती है. इस समय लड़के अपनी पहली हाकामा (रंग-बिरंगे पारंपरिक कपड़े) पहनते हैं, जो पुरुषत्व की ओर पहला कदम होता है.

सात साल (Shichi): यह खासकर लड़कियों के लिए होता है, जो इस उम्र में पहली बार ओबी (किमोनो को बांधने वाली साड़ी) पहनती हैं, जो उन्हें एक युवा महिला के रूप में पहचान दिलाता है. इन तीन संख्याओं को जापान की अंकशास्त्र प्रणाली में सौभाग्यशाली माना जाता है, जो इस उम्र को और भी विशेष बनाता है.

समय के साथ शिची-गो-सान की परंपराएं

शिची-गो-सान के आयोजन में समय के साथ कई बदलाव आए हैं, लेकिन इसका मूल उद्देश्य बच्चों के विकास का उत्सव मनाना आज भी बना हुआ है. पहले, कामीओकी नामक रिवाज था, जिसमें बच्चों के सिर के बाल उगाने के लिए उन्हें शुद्ध किया जाता था. लेकिन आजकल, अधिकांश परिवार शिंतो मंदिरों में जाते हैं, जहां वे बच्चों की सेहत के लिए प्रार्थना करते हैं और चितोसे-अमे (लंबी उम्र के लिए सौभाग्यशाली कैंडी) प्राप्त करते हैं, जो विशेष रूप से एक किमोनो में पैक की जाती है, और उसमें कछुए और क्रेन जैसे शुभ चिन्ह होते हैं, जो जापानी संस्कृति में लंबी उम्र का प्रतीक हैं.

आधुनिक शिची-गो-सान

आधुनिक जापान में शिची-गो-सान मनाने की परंपरा और भी लोकप्रिय हो गई है. आजकल, शिंतो मंदिरों के दौरे के साथ-साथ बच्चों के सुंदर किमोनो पहनकर उनके साथ पेशेवर फोटोग्राफी कराई जाती है. इसके लिए विशेष पैकेज भी उपलब्ध होते हैं, जिसमें बाल, मेकअप और होटल स्टे की व्यवस्था की जाती है. टोक्यो के प्रमुख मंदिरों में मेइजी जिंगू, हीजे जिन्जा और कांडा म्योजिन शामिल हैं, जहां लोग इस दिन की पूजा करते हैं और पारंपरिक परिधान में परिवार के साथ फोटो खिंचवाते हैं.

Trending news