Begunkodar Station: हालत ये हो गई कि इस रेलवे स्टेशन के बंद होने का अजीबोगरीब कारण रेलवे के रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया. लोगों के अंदर यह कारण इतना घर कर चुका था कि वो इस स्टेशन पर आने से कतराने लगे. फिर धीरे-धीरे यहां लोगों का आना-जाना बंद हो गया. कर्मचारी भी डर के मारे भाग गए.
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Haunted Railway Station: हाल ही में ओडिशा के बालासोर में हुए दर्दनाक रेल हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया. रेल हादसे हमेशा से ही काफी दुर्भाग्यपूर्ण रहे हैं. इसी कड़ी में आइए आपको एक ऐसे हादसे के बारे में बताते हैं जिसकी वजह से भारत के एक रेलवे स्टेशन पर 42 सालों तक कोई ट्रेन नहीं रुकी. यह रेलवे स्टेशन 1960 में खुला था लेकिन कुछ समय बाद यहां कथित तौर पर भूतों को देखने के बाद यहां के कर्मचारी भाग गए थे और यह सूनसान हो गया था. लेकिन 2009 में तत्कालीन रेलमंत्री ममता बनर्जी ने दोबारा इस स्टेशन को खुलवाया था.
ऐसी अफवाह फैली कि..
दरअसल, यह रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में है. इसका नाम बेगुनकोदर रेलवे स्टेशन है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक संथाल की रानी लाचन कुमारी ने 1960 में इसे शुरू कराया था. कुछ सालों तक यहां पर सब कुछ ठीक रहा, लेकिन साल 1967 में एक रेलवे कर्मचारी ने स्टेशन पर महिला का भूत देखने का दावा किया था. इतना ही नहीं यह भी अफवाह फैली की महिला की मौत उसी स्टेशन पर एक ट्रेन दुर्घटना में हो गई थी.
कोई रुकना नहीं चाहता था
इसी बीच उस समय एक और चौंकाने वाली घटना हो गई थी. हुआ यह कि बेगुनकोदर के तत्कालीन स्टेशन मास्टर और उनका परिवार रेलवे क्वार्टर में मृत अवस्था में पाया गया था. इसके बाद लोगों ने दावा किया इसके पीछे उसी भूत का हाथ है. फिर तो हड़कंप मच गया. रेलवे स्टेशन के सभी कर्मचारी धीरे-धीरे भाग गए. घटना के बाद लोग इस तरह से डरने लगे कि सूरज ढलने के बाद यहां कोई रुकना नहीं चाहता था. लोग इतना डरते थे कि शाम होते ही स्टेशन और आसपास के इलाकों से भाग जाया करते थे.
भूतिया रेलवे स्टेशन कहा जाने लगा
इन खौफनाक घटनाओं के बाद इसे भूतिया रेलवे स्टेशन कहा जाने लगा. रेलवे ने कई महीनों तक यहां रेलवे कर्मचारियों का रखने की कोशिश की लेकिन कोई भी यहां किसी हालत में काम नहीं करना चाहता था. इतना ही नहीं इस स्टेशन पर भूत की बात पुरुलिया जिले से लेकर कोलकाता और यहां तक कि रेलवे मंत्रालय तक पहुंच चुकी थी आखिरकार प्रशासन को ये स्टेशन पूरी तरह बंद करने की घोषणा करनी पड़ी. यहां ट्रेनों का रुकना भी बंद हो गया था. क्योंकि डर के मारे न तो कोई यात्री यहां उतरना चाहता था और न ही कोई इस स्टेशन पर ट्रेन में चढ़ने के लिए ही आता था.
42 सालों तक बंद रहा और फिर..
इन सबका परिणाम यह हुआ कि यह 42 सालों तक बंद रहा और फिर आखिरकार साल 2009 में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर इस स्टेशन को खुलवाया. लेकिन अब भी रेलवे के एक भी स्टाफ को पोस्टिंग नहीं दी गई है. इस रेलवे स्टेशन को एक प्राइवेट फर्म द्वारा मैनेज किया जाता है. फिलहाल यहां करीब 10 ट्रेनें रुकती हैं.