1971 India-Pakistan War: 29 नवंबर को अपनी रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले, जनरल बाजवा ने पूर्वी पाकिस्तान की हार को ‘राजनीतिक विफलता’ करार दिया और शिकायत की कि सैनिकों के बलिदान को कभी ठीक से स्वीकार नहीं किया गया.
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Pakistan Politics: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने 1971 में पूर्वी पाकिस्तान की पराजय को ‘विशाल सैन्य विफलता’ करार दिया है. उन्होंने परोक्ष रूप से पूर्व सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा पर निशाना साधा जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान के पाकिस्तान से अलग होने को ‘राजनीतिक विफलता’ करार दिया था. बिलावल ने यह टिप्पणी उनकी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के 55वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित निश्तर पार्क रैली में की.
इस अवसर पर, पीपीपी के अध्यक्ष ने अपनी पार्टी के इतिहास का जिक्र किया और इसके संस्थापक, उनके दादा जुल्फिकार अली भुट्टो की उपलब्धियों को याद किया.
'जुल्फिकार अली भुट्टो ने राष्ट्र का पुनर्निर्माण किया'
डॉन अखबार ने उनके हवाले से कहा, ‘जब जुल्फिकार अली भुट्टो ने सरकार संभाली, तो लोग टूट गए थे और सारी उम्मीदें खो दी थीं. लेकिन उन्होंने राष्ट्र का पुनर्निर्माण किया, लोगों के विश्वास को बहाल किया, और अंत में हमारे 90,000 सैनिकों को वापस घर ले आए, जिन्हें 'सैन्य विफलता' के कारण युद्धबंदी बना दिया गया था. उन 90,000 सैनिकों को उनके परिवारों के साथ फिर से मिला दिया गया और यह सब उम्मीद की राजनीति, एकता और समावेश की राजनीति के कारण संभव हुआ है.’
क्या कहा था बाजवा ने?
बता दें 29 नवंबर को अपनी रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले, जनरल बाजवा ने पूर्वी पाकिस्तान की हार को ‘राजनीतिक विफलता’ करार दिया और शिकायत की कि सैनिकों के बलिदान को कभी ठीक से स्वीकार नहीं किया गया. उन्होंने इस आम धारणा को खारिज कर दिया कि 1971 के युद्ध में 92,000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और दावा किया कि केवल 34,000 लड़ाके थे, जबकि अन्य विभिन्न सरकारी विभागों का हिस्सा थे.
1971 में पाकिस्तान को भारत के हाथों शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. पाकिस्तान से पूर्वी पाकिस्तान अलग हुआ और बांग्लादेश नाम के राष्ट्र के रूप में सामने आया.
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