पाकिस्तान में चीन के श्रमिकों की दबंगई, दो सैनिकों को जमकर पीटा
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पाकिस्तान में चीन के श्रमिकों की दबंगई, दो सैनिकों को जमकर पीटा

चीन के काशगर से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए बन रहा चीन- पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) अब पाकिस्तान के लिए बुरा ख्वाब बनने लगा है. 

चीन पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर की फाइल तस्वीर

नई दिल्ली: चीन (China) के काशगर से पाकिस्तान (Pakistan) के ग्वादर बंदरगाह को कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए बन रहा चीन- पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) अब पाकिस्तान के लिए बुरा ख्वाब बनने लगा है. इस कॉरिडोर की वजह से पाकिस्तान पर चीन का 46 बिलियन डॉलर का कर्ज पहले से था. अब प्रोजेक्ट में भ्रष्टचार और पाकिस्तानी सैनिकों व चीनी श्रमिकों के बीच बढ़ती हाथापाई की खबरें उसकी चिंता बढ़ा रही हैं.  

  1. 21 जुलाई को पंजाब के बहावलपुर जिले में हुई घटना
  2. चीन के श्रमिकों को सुरक्षा देने पहुंचे थे पाकिस्तानी सैनिक
  3. पाकिस्तानी सेना के अफसरों ने कार्रवाई के बजाय मामले को दबा दिया 
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ऐसा ही एक वाकया 21 जुलाई को सामने आया. जब कराची-पेशावर परियोजना CPEC की मेन लाइन -1 (ML-1) पर काम कर रहे चीन के श्रमिकों और प्रोजेक्ट को सुरक्षा दे रहे पाकिस्तानी सैनिकों के बीच जमकर मारपीट हो गई. पाकिस्तान के सबसे घनी आबादी वाले पंजाब प्रांत के बहावलपुर जिले में हुई इस घटना पर पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट कर्नल इमरान कासिम ने 341 लाइट कमांडो ब्रिगेड को पत्र लिखा है. इमरान कासिम प्रोजेक्ट की सुरक्षा के लिए बने स्पेशल सिक्योरिटी डिवीजन (SSD) के कमांडिंग अफसर हैं. अपने पत्र में उन्होंने घटनाक्रम का वर्णन दिया.   
 
रिपोर्ट के मुताबिक घटना वाले दिन 341 लाइट कमांडो ब्रिगेड के हवलदार असद उल्लाह के नेतृत्व में 6 पाकिस्तानी सैनिक चीन के श्रमिकों को सुरक्षा देने डयूटी पर पहुंचे थे. उन्होंने चीन के 4 श्रमिकों ली युयुन, ली युजुन, ली गॉयिंग और बू लेई को गाड़ी में बिठाया. उनके साथ चीन के दो सिविलियन नागरिक और एक आर्मी व्हीकल भी शामिल थे. 

चीन के श्रमिकों को दो प्रोजेक्ट साइटों जी- 1526 टॉवर और जी- 1523 टॉवर पर काम करना था. ली युयुन ने पाकिस्तानी सैनिकों पर दबाव डाला कि एक श्रमिक को जी- 1526 टॉवर पर छोड़कर बाकी सबको जी- 1523 टॉवर पर शिफ्ट कर दिया जाए.  हवलदार असद उल्लाह ने सलाह दी कि एक के बजाय दो श्रमिकों को छोड़ दिया जाना चाहिए, साथ ही वहां पर एक अतिरिक्त सैनिक भी सुरक्षा के लिए तैनात किया जाना चाहिए. लेकिन युयुन नहीं माना और बहस करने लगा. 

उसकी जिद देखकर असद उल्लाह ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन भाषा की समस्या की वजह से वह अपनी बात स्पष्ट नहीं कर पाया. इसके बाद वह वायरलेस पर सीनियर्स को हालात से अवगत कराने लगा. इसी बीच लू युयुन ने उसके सिर पर दो बार प्रहार किया. अपने कमांडर पर हमला होते देख बाकी पाकिस्तानी सैनिक नाराज हो गए. टीम में शामिल पैरा कमांडो फजल उर रहमान ने चीन के श्रमिकों का विरोध किया तो उन्होंने मिलकर उस पर भी हमला बोल दिया. सैनिकों ने इस घटना की जानकारी कैंप कमांडेंट मेजर शहजाद को दी. जिन्होंने अपने सैनिकों को चीन के श्रमिकों से न भिड़ने को कहा और मामला चुपचाप शांत कर दिया गया. 

सूत्रों के मुताबिक इस मामले में इमरान कासिम ने भले ही सरकारी औपचारिकता की वजह से पत्र लिखकर घठना की डिटेल दी है. लेकिन इस मामले में पत्र लिखने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल इमरान कासिम की भूमिका पर अंगुलियां उठ रही हैं. माना जाता है कि इमरान कासिम ने प्रॉक्सी ठेकेदार के जरिए चीन की कंपनी को सस्ते लोकल लेबर उपलब्ध करवाकर लाखों पाकिस्तानी रुपयों का भ्रष्टाचार किया है. उसके संरक्षण में मेजर शहजाद भी भ्रष्टाचार के खेल का हिस्सा है. जिसके चलते हमला करने के बावजूद चीन के श्रमिकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.  

पाकिस्तानी सरकार की एक समिति की पिछले दिनों जारी रिपोर्ट में बताया गया था कि देश के पॉवर सेक्टर में चीन की कंपनियों का दखल गंभीर रूप से बढ़ गया है. ये कंपनियां महंगे दामों पर पाकिस्तान में बिजली आपूर्ति कर बहुत मुनाफा कमा रही हैं. इन कंपनियों की सुरक्षा और अन्य कार्यों से जुड़े पाकिस्तानी अफसर भी भ्रष्टाचार करके खूब मालामाल हो रहे हैं. चीन की कंपनियों के गोरखधंधे का खुलासा होने के बावजूद पाकिस्तान सरकार ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है और रिपोर्ट को चुपचाप दबा दिया.  

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