Taliban से दोस्ती क्यों करना चाहता है China? सामने आई ड्रैगन की नई चाल
Advertisement
trendingNow1966258

Taliban से दोस्ती क्यों करना चाहता है China? सामने आई ड्रैगन की नई चाल

आखिर क्या वजह है कि तालिबान (Taliban) के लिए चीन के दिल में इतनी हमदर्दी पनप रही है? इसकी वजह है कि चीन लालच देकर तालिबान के जरिए अफगानिस्तान (Afghanistan) में अपनी जड़ें जमाना चाहता है. इससे पहले वहां अमेरिकी फोर्स की तैनाती थी और उस दौरान चीन की दाल गलना मुश्किल हो रही थी. 

चीनी विदेश मंत्री के साथ तालिबानी नेता (Reuters)

नई दिल्ली: अफगानिस्तान (Afghanistan) पर तालिबान (Taliban) के कब्जे के बाद पूरी दुनिया खौफ में है और सभी देश अपने नागरिकों को किसी भी तरह वहां से निकालने में जुट गए हैं. भारत ने भी रविवार को 129 भारतीयों की एअर इंडिया (Air India) के विशेष विमान के जरिए काबुल (Kabul) से रेस्क्यू किया है. कुछ देश तो तालिबान सरकार को मान्यता देने के खिलाफ हैं जबकि चीन (China) तालिबान के साथ दोस्ती करना चाहता है.

  1. तालिबान पर उमड़ा चीन का प्यार!
  2. ड्रैगन ने बढ़ाया दोस्ती का हाथ
  3. अफगानिस्तान की दौलत पर है नजर

तालिबान और ड्रैगन की दोस्ती! 

चीन ने सोमवार को कहा कि वह तालिबान के साथ दोस्ताना रिलेशन बनाना चाहता है और अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता देने के लिए भी तैयार है. इसके अलावा चीन ने साफ कर दिया कि वह काबुल स्थित अपने दूतावास को बंद नहीं करेगा. चीन के अलावा पाकिस्तान, तुर्की और रूस जैसे देश भी काबुल में अपने दूतावास को ऑपरेशनल रखने को तैयार हैं. इससे इतर कनाडा जैसा देश पहले ही तालिबान की घुसपैठ के बाद अफगानिस्तान से अपने राजनीतिक संबंध तोड़ चुका है.

VIDEO

आखिर क्या वजह है कि तालिबान के लिए चीन के दिल में इतनी हमदर्दी पनप रही है? इसकी वजह है कि चीन लालच देकर तालिबान के जरिए अफगानिस्तान में अपनी जड़ें जमाना चाहता है. इससे पहले वहां अमेरिकी फोर्स की तैनाती थी और उस दौरान चीन की दाल गलना मुश्किल हो रही थी. अब अमेरिकी सेना अफगानिस्तान से वापसी कर चुकी है और ऐसे में चीन वहां अपने लिए मौके तलाश रहा है.

fallback
राष्ट्रपति भवन पर तालिबान का कब्जा

विदेश मंत्री ने की बैठक

इसके अलावा तालिबान की दौलत पर भी चीन की नजर है. ड्रैगन के कई प्रोजेक्ट अफगानिस्तान में शुरू हो सकते हैं और पुननिर्माण के नाम पर वह अपने कारोबार को बढ़ावा देना चाहता है. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीन का साफ मानना है कि तालिबान को मान्यता देने में किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है और जो लोग ऐसे नहीं करना चाहते हैं, उन्हें शायद विदेश नीति की समझ नहीं है.

ये भी पढ़ें: तालिबान के आतंक से हरकत में पूरी दुनिया, 60 देशों ने उठाया बड़ा कदम

चीन ने काबुल में अपने मौजूदगी बढ़ाने की कोशिश काफी पहले से शुरू कर दी थी. इसी मकसद से 28 जुलाई को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने तालिबान के डेलीगेशन से मुलाकात भी की थी और इस बैठक में तालिबानी नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर भी शामिल हुआ था. ऐसा तब किया जा रहा है जब दुनिया के कई मुल्क तालिबान को आतंकी संगठन मानते हैं और खुलकर उसकी खिलाफत करते आए हैं.

दौलत पर है चीन की नजर

दरअसल अफगानिस्तान में प्राकृतिक खनिजों का भंडार है जिस पर चीन की नजर है. वहां डेवलेपमेंट के नाम पर चीन अपनी घुसपैठ करेगा जिससे वहां के भंडार को लूटने में मदद मिल सके. इसके विपरीत तालिबान भी जानता है कि बंदूक के दम पर ज्यादा दिन तक अफगानिस्तान की सत्ता नहीं हथियाई जा सकती और उसे भी किसी बड़े देश की मदद लेनी ही पड़ेगी. यही वजह है कि तालिबान और चीन एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं.

Trending news