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बीजिंग: चीन (China) की कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) पर उसके अपने ही विश्वास नहीं कर रहे हैं. यही वजह है कि वैक्सीनेशन रेट बढ़ाने के लिए वो तरह-तरह के तरीके आजमाने पर मजबूर है. चीनी वैक्सीन शुरुआत से ही सवालों के घेरे में है. कई देशों ने उसकी वैक्सीन के इस्तेमाल से इनकार कर दिया है. बीजिंग को उम्मीद थी कि वैक्सीनेशन डिप्लोमेसी (Vaccine Diplomacy) के जरिए वो दुनिया पर अपना प्रभाव कायम कर पाएगा, लेकिन राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) का यह सपना पूरी तरह बिखर गया है. हालात ये हो चले हैं कि चीन के अपने नागरिक ही उसकी वैक्सीन लगवाने को तैयार नहीं हैं.
टीका लगवाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए चीन ने अब नई-नई तरकीबें खोजनी शुरू कर दी हैं. यहां अब वैक्सीन लगवाने वालों को मुफ्त अंडे और शॉपिंग कूपन या फिर किराने के सामान में छूट जैसे लुभावने ऑफर दिए जा रहे हैं. सरकार की कोशिश है कि वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाया जाए. उसका लक्ष्य जून तक देश की 56 करोड़ आबादी को टीका देने का है. इसलिए लोगों को आकर्षित करने के लिए हर रोज नए-नए ऑफर दिए जा रहे हैं.
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चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के मामलों में कमी आने की वजह से लोग खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इस वजह से वह वैक्सीन नहीं लगवाना चाहते. हालांकि, चीनी वैक्सीन को लेकर जिस तरह का खौफ दुनियाभर में है, उसे देखते हुए इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चीनी नागरिकों को भी अपनी वैक्सीन पर विश्वास नहीं है. उधर, कम्युनिस्ट सरकार का दावा है कि वो वैक्सीनेशन के निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर लेगी. उसका कहना है कि हर दिन लाखों लोगों को टीका दिया जा रहा है और अकेले 26 मार्च को ही एक दिन में 61 लाख वैक्सीन लगाई गई थीं.
चीन में फिलहाल पांच वैक्सीन इस्तेमाल की जा रही हैं. ये वैक्सीन 50.7 प्रतिशत से लेकर 79.3 प्रतिशत तक असरदार हैं. उधर, चीन के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के टॉप इम्यूनोलॉजिस्ट वांग हुआकिंग का कहना है कि चीन अगर हर्ड इम्यूनिटी पाना चाहता है, तो उसे अपनी कम से कम 1 अरब आबादी को टीका देना पड़ेगा. अप्रैल के शुरुआती डेटा के मुताबिक, चीन में 3.4 करोड़ लोगों को ही वैक्सीन की दोनों खुराक लग पाई हैं जबकि 6.5 करोड़ लोगों को अभी टीके की पहली खुराक ही दी गई है.