China Real Estate Crisis: चीन का प्रॉपर्टी कारोबार पिछले 2 साल से बड़े संकट में है. स्थिति ठीक होने की जगह खराब होती जा रही है. वहीं इसके उलट भारत में हालात ठीक होते दिख रहे हैं. ऐसे में निवेशक चीन से निकलने लगे हैं और वे भारत के प्रॉपर्टी मार्केट में निवेश का मन बना रहे हैं.
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China Property Crisis: बेशक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले महीने लगातार तीसरी बार चीन के नेता चुने गए, लेकिन इससे चीन की परेशानी खत्म होती नहीं दिख रही है. कई मोर्चों पर चीन आज भी बेदम पड़ा हुआ है. वैसे तो चीन के सामने मौजूदा समय में कई चुनौतियां हैं, लेकिन उसकी सबसे बड़ी परेशानी रियल एस्टेट है. चीन का रियल एस्टेट सेक्टर कोरोना काल से पहले से ही लड़खड़ाने लगा था और कोरोना ने उसे पूरी तरह बेदम कर दिया. कोरोना केस कम होने के बाद जहां इसके सही होने की उम्मीद थी, वहीं नतीजे इसके उलट हैं. चीन का प्रॉपर्टी कारोबार और ठप ही होता जा रहा है. स्थिति ये है कि निवेशक यहां से निकलने लगे हैं. अब बड़ा सवाल ये है कि क्या वे निवेशक चीन छोड़कर भारत की ओर रुख कर रहे हैं. आइए जानते हैं इन्हीं सवालों के जवाब.
लगातार 15वें महीने गिरावट
पिछले हफ्ते चीनी सरकार की ओर से जारी किए गए डेटा के मुताबिक, चीन में नए घर की कीमतें 7 वर्षों में सबसे तेज दर से नीचे गिरी हैं. जबकि फ्लोर एरिया के आधार पर मापी गई संपत्ति की बिक्री में अक्टूबर में लगातार 15वें महीने भी गिरावट देखी गई है. चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के आधार पर, अक्टूबर तक के लिए अचल संपत्ति के विकास में निवेश पिछले वर्ष इस समय की तुलना में 8.8 प्रतिशत तक गिर गया, कमर्शियल फ्लोर स्पेस में जहां 22.3 प्रतिशत की गिरावट आई, वहीं कमर्शियल बिल्डिंग से राजस्व में 26.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है.
सबसे बड़ी कंपनी तलाश रही इंडिया में अवसर
दूसरी ओर भारत में, प्रॉपर्टी प्राइस इंडेक्स पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा प्रकाशित अखिल भारतीय हाउस प्राइस इंडेक्स (HPI) जून में समाप्त तिमाही के लिए 3.5 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ा जो पिछली तिमाही की तुलना में 1.8 प्रतिशत से अधिक है. अब भारत में इन्वेस्टमेंट की बात करें तो सिंगापुर की कैपिटललैंड इन्वेस्टमेंट (सीएलआई) जैसी रियल एस्टेट निवेश फर्म, जिसकी चीन में एक तिहाई संपत्ति है, अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने की कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में सीएलआई की ओर से वियतनाम और भारत को भविष्य के निवेश के अवसर तलाश रहे हैं.
दूर तक नहीं दिख रहे राहत के संकेत
चीन की USD17 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था का लगभग एक चौथाई हिस्सा प्रॉपर्टी सेक्टर से आता है. संबंधित चीनी अधिकारी पिछले कुछ साल से ढहते रियल सेक्टर में विश्वास वापस लाने के लिए उपाय शुरू कर रहे हैं. हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि, अभी दूर तक इससे राहत के संकेत नहीं दिख रहे हैं.
क्यों हिली चीनी रियल एस्टेट की बुनियाद
दरअसल, चीनी सरकार ने अगस्त 2020 में बढ़ते घर की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए डेवलपर्स द्वारा अत्यधिक उधार लेने पर लगाम लगाने की कोशिश करना शुरू कर दिया. इस कदम ने संपत्ति बाजार को अस्थिर कर दिया क्योंकि देश के दूसरे सबसे बड़े डेवलपर एवरग्रांडे की हालत खराब होती गई और वह डिफॉल्टर हो गया. इसके बाद प्रॉपर्टी सेक्टर में गिरावट आने लगी और कई प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों की हालत खराब होती चली गई. हजारों लाखों फ्लैट अधूरे ही रह गए. बिल्डर काम छोड़कर फरार होने लगे. इसके बाद रही सही कसर कोरोना ने निकाली दी.
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