आधुनिक दुनिया की नींव टेक्नोलॉजी पर टिकी हुई है. लैपटॉप, कंप्यूटर और मोबाइल फोन बनाने में दो खास खनिजों का इस्तेमाल किया जाता है, अब उसी दोनों पर चीन का कब्जा हो गया है और ड्रैगन इन पर बैन लगाने की बात कर रहा है.
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China Minerals Export ban: मौजूदा समय में दुनिया बदलती हुई टेक्नोलॉजी पर टिकी हुई है. आपके हाथ में इस्तेमाल होने वाला मोबाइल फोन, आपके ऑफिस में पड़ा लैपटॉप और घर में रखा टेलीविजन... इनमें एक डिवाइस लगा होता है जिसे सेमीकंडक्टर कहते हैं. इस छोटे से डिवाइस को बनाने के लिए कोबाल्ट और लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है. अब चाइना ने इन दोनों खनिजों के निर्यात पर बैन लगाने की बात कही है. इसके अलावा सौर पैनलों और मिसाइल सिस्टम में भी इन्हीं खनिजों का इस्तेमाल किया जाता है. लिथियम और कोबाल्ट आधुनिक दुनिया के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण खनिजों में हैं. इससे पहले गैलियम और जर्मेनियम पर भी चीन ने प्रतिबंध लगाने की बात कही थी.
चीन के इस ऐलान को किसी धमकी की तरह देखा जा रहा है. आपको बता दें कि चीन का अमेरिका से काफी तनाव भरा रिश्ता चल रहा है. दोनों में ट्रेड वार छिड़ी हुई है. विदेशी मामलों के एक्सपर्ट्स इसे अमेरिका को दी जाने वाली चेतावनी के रूप में देख रहे हैं. एक्सपर्ट्स की आशंका है कि चीन पश्चिमी सप्लाई चेन को नष्ट करने की फिराक में है. इसके लिए वह अपने बढ़ते प्रभुत्व का इस्तेमाल करेगा. पूरे वर्ल्ड का करीब दो तिहाई लिथियम और कोबॉल्ट भारत के पड़ोसी चीन द्वारा प्रोसेस किया जाता है. इन दोनों खनिजों को इलेक्ट्रिक कारों के निर्माण के लिए सबसे जरूरी माना गया है.
गौरतलब है कि अकेला चीन पूरी दुनिया का करीब 60 प्रतिशत एल्यूमीनियम उत्पादन करता है. इसी एल्यूमीनियम का यूज ईवी बैटरी में होता है. पॉलीसिलिकॉन की बात करें तो चीन अकेले करीब 80 फीसदी पॉलीसिलिकॉन का सोर्स है. पॉलीसिलिकॉन सौर पैनलों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है. इतना ही नहीं इन खनिजों का यूज टच स्क्रीन स्मार्टफोन और मिसाइल डिफेंस सिस्टम समेत अन्य उपकरणों में किया जाता है. इन तमाम तथ्यों से यह निष्कर्ष निकलता है कि अकेला चीन पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है, क्योंकि चीन के इस प्रतिबंध से ऊर्जा, चिप निर्माण और रक्षा उद्योगों पर नकारात्मक असर पड़ेगा.