लद्दाख के कई इलाकों में घुसपैठ करने वाले चीन ने भारत से कहा है कि यदि वह पैंगोंग झील इलाके में अपने सैनिक पीछे हटाता है तो वह भी 'समान मात्रा में और समान दूरी' पर अपने सैनिक पीछे कर लेगा
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लद्दाख : लद्दाख (Laddakh) के पैंगोंग झील (Pangong tso) समेत कई इलाकों में घुसपैठ करने वाले चीन ने फिर टेढ़ी चाल चली है. चीन (China) ने भारत से कहा है कि यदि वह पैंगोंग झील इलाके में अपने सैनिक पीछे करता है तो वह भी 'समान मात्रा में और समान दूरी' पर अपने सैनिक पीछे कर लेगा. भारत ने चीन के इस प्रस्ताव को पूरी तरह खारिज कर दिया है और उससे 5 मई से पहले की यथास्थिति बहाल करने को कहा है.
बता दें कि भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर पिछले 14 सप्ताह से चले आ रहे गतिरोध को तोड़ने के लिए दोनों देशों के बीच रविवार को हुई कोर कमांडर स्तर की 5वीं बैठक भी नाकाम रही. इस बैठक में मुख्य रूप से पैगोंग झील इलाके पर चर्चा की गई. चीन के कमांडर ने कहा कि जब तक भारत के सैनिक समान दूरी और मात्रा में पीछे नहीं हटते. तब तक वह भी अपने सैनिक पीछे नहीं हटाएगा.
इस बैठक के निष्कर्षों पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को दिल्ली में चाइना स्टडी ग्रुप (CSG) की मीटिंग हुई. मीटिंग में शामिल अफसरों ने कहा कि चीन का प्रस्ताव मानने का मतलब ये होगा कि भारत अपने अधिकार वाली फिंगर 2 पोस्ट तक लौटे तो चीन फिंगर 4 से पीछे हटकर फिंगर 6 तक चला जाएगा. इस प्रस्ताव को माना गया तो चीन का दावा फिंगर 8 से बढ़कर फिंगर 6 तक हो जाएगा. जबकि भारत को फिंगर 4 से अधिकार गंवाकर फिंगर 2 तक सिमट जाना होगा. इससे भारत एलएसी पर बड़ी जमीन गंवा बैठेगा. साथ ही प्रस्ताव मान लेने पर चीन भविष्य में और ज्यादा जमीन कब्जाने के लिए प्रोत्साहित होगा.
करीब 3 घंटे तक चली चर्चा के बाद चीन के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. बैठक में शामिल आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे को निर्देश दिया गया कि वह चीन की सेना को अवगत करा दें कि उसका प्रस्ताव भारत को अस्वीकार्य है. CSG ने फैसला लिया कि फिलहाल चीन के अगले कदम का इंतजार किया जाएगा. उसके बाद ही भारत अगला कदम उठाएगा. सेना को निर्देश दिया गया कि वह किसी भी हालात से निपटने के लिए संपूर्ण एलएसी पर अपनी तैयारियों को जारी रखे. साथ ही सर्दियों में एलएसी पर 35 हजार जवानों की तैनाती के काम को आगे बढ़ाए.
बताते चलें कि पिछली कोर कमांडर स्तर की बातचीतों के बाद सेना और विदेश मंत्रालय अलग अलग ब्रीफिंग जारी करते थे. लेकिन इस बार किसी ने भी बैठक की ब्रीफिंग जारी नहीं की. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस गतिरोध को तोड़ने के लिए एक बार फिर राजनयिक बातचीत या दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हो सकती है.
सूत्रों के मुताबिक पीपी- 14, पीपी 15, पीपी 17, पीपी 17ए पर डिस- एंगेजमेंट प्रक्रिया पूरी हो गई है. दोनों देशों ने टकराव टालने के लिए आपसी सहमति से इन सभी इलाके में अपने सैनिक पीछे कर लिए हैं. लेकिन पैंगोंग इलाके को चीन अभी खाली करने के मूड में नहीं है. वह भारत पर सामरिक दबाव बनाकर पैंगोंग झील इलाके में अपना कब्जा बढाने की फिराक में है. लेकिन भारत भी मजबूती के साथ उसके इस हथकंडे को फेल करने में जुटा हुआ है.
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