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बीजिंग: चीन की सेना (Chinese Army) एक ऐसे संकट में घिर गई है, जिससे जल्द बाहर निकलना उसके लिए मुश्किल है. दरअसल, चीन में फर्टिलिटी रेट (Fertility Rate) में गिरावट की वजह से पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के लिए आने वाले सालों में युवाओं की भर्ती मुश्किल हो जाएगी. PLA हर साल बड़ी संख्या में ऐसे युवाओं की बंदूक थमाती है, जो उसके लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हों. लेकिन जिस तरह से फर्टिलिटी रेट में कमी आई है वो उसके लिए चिंता का विषय है.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट (एससीएमपी) की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल ही में जारी जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि चीन में पिछले साल 1.2 करोड़ बच्चे पैदा हुए थे, यह आंकड़ा 1961 के बाद से सबसे कम है. रिपोर्ट में विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया है कि कई सैन्य अधिकारियों और ऑब्जर्वर्स ने 1993 से ही सेना पर एक बच्चा नीति के असर के बारे में चिंता व्यक्त की है. 2012 में पीएलए नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर लियू मिंगफू ने चेतावनी दी थी कि कम से कम 70 फीसदी पीएलए सैनिक एक बच्चे वाले परिवारों से थे. इसलिए इस विषय अपर ध्यान देने की जरूरत है.
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चीन के पास दुनिया की सबसे बड़ी मिलिट्री है और उसे हर साल हजारों की तादाद में नए सैनिकों की भर्ती करनी पड़ती है. ऐसे में जन्म दर में गिरावट उसके लिए एक ऐसे संकट की तरह है, जो जल्द टलने वाला नहीं है, मिलिट्री एक्सपर्ट एंटनी वोंग टोंग ने कहा कि पिछले दशकों में पीएलए ने ज्यादा महिला सैनिकों की भर्ती की है, असल में जो विकसित देश नए खून की कमी झेल रहे हैं, उनमें यह पॉपुलर ट्रेंड है. वहीं, डेमोग्राफी के प्रोफेसर जियांग क्वांबाओ ने कहा है कि वन-चाइल्ड पॉलिसी के दौरान लड़का पैदा करने के लिए लिंग की पहचान करके गर्भपात कराने जैसे कदम जनसंख्या में कमी के लिए जिम्मेदार हैं.
चीन को कहीं न कहीं ये अंदेशा था कि वन-चाइल्ड पॉलिसी आने वाले वक्त में भारी पड़ सकती है. इसलिए 2016 में ही उसने इस नीति में ढील देकर अपने लोगों को दूसरा बच्चा पैदा करने की भी इजाजत दे दी थी, लेकिन उसका खास फायदा नहीं हुआ. बता दें कि चीन में वन-चाइल्ड पॉलिसी 1979 में लागू की गई थी और 2016 में उसे हटा लिया गया था. जानकारों का कहना है कि सरकारी प्रयासों के बावजूद आने वाले सालों में जन्मदर में और गिरावट दर्ज की जा सकती है. यानी चीनी सेना के लिए मुश्किलें और बढ़ेंगी.