China Economy Crisis: शी जिनपिंग के खराब फैसलों से मुश्किल में फंसा 'ड्रैगन'? एक्सपर्ट्स ने बताई चीन की दुर्दशा होने की ये वजहें
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China Economy Crisis: शी जिनपिंग के खराब फैसलों से मुश्किल में फंसा 'ड्रैगन'? एक्सपर्ट्स ने बताई चीन की दुर्दशा होने की ये वजहें

China economy slowdown: चीनी अर्थव्यवस्था गंभीर आर्थिक संकट (China economy crisis) के दौर से गुजर रही है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीन भारी संकट में है. हालात नहीं सुधरे तो मंदी की ओर तेजी से बढ़ रहे चीन को उबरने में लंबा वक्त लग जाएगा. इन्हीं जानकारों ने 'ड्रैगन' की खस्ता हालत की वजह भी बताई है.

China Economy Crisis: शी जिनपिंग के खराब फैसलों से मुश्किल में फंसा 'ड्रैगन'? एक्सपर्ट्स ने बताई चीन की दुर्दशा होने की ये वजहें

China Crisis 2023: चीन की माली हालत किसी से छिपी नहीं है. चीन मंदी की ओर बढ़ रहा है. रियल स्टेट, प्रॉपर्टी और एजुकेशन सेक्टर में अभूतपूर्व गिरावट है. बेरोजगारी दर आल टाइम हाई है. ऐसा क्या हो गया जो 40 साल तक वैश्निक अर्थव्यवस्था में अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज करा चुके चीन के लिए कहा जा रहा है कि उसकी नैया डूब सकती है. क्या चीन का हाल पूर्व सोवियत संघ (वर्तमान में रूस) जैसा हो सकता है? ऐसे कयास अब चीन की इकॉनमी में सुस्ती दिखने के बाद लगाए जा रहे हैं.

चीनी अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त

चीन इस समय मुश्किल दौर से गुजर रहा है और इसकी सबसे बड़ी वजह है, चीनी अर्थव्‍यवस्‍था बेहद सुस्त रफ्तार से बढ़ रही है. चीन के मुश्किल हालातों के बीच दुनियाभर के इकॉनमी एक्सपर्ट्स की तरफ से कई कयास लगाए गए हैं. ग्लोबल इकॉनमी के जानकारों ने चेतावनी दी है कि अगर मंदी पूरी तरह छा गई तो फिर चीन को उबरने में कई सालों का समय लग सकता है.

चीन की अर्थव्यवस्था 25%सिकुड़ जाएगी?

1980 से 2020 के चालीस सालों में चीन की इकॉनमी ने तेजी से ग्रोथ की. पूरी दुनिया इसकी गवाह रही है. बीते चार दशकों में कड़े कृषि सुधारों, औद्धोगिकीकरण में बढ़ोतरी के साथ लोगों की इनकम बढ़ने से चीन के करोड़ों लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल आए. पर मौजूदा हालातों में अब उसी चीन की अर्थव्यवस्था के 25% तक सिकुड़ सकती है.

2023 में अमेरिकी इकॉनमी से तुलना

चीन में प्रॉपर्टी की कीमत तेजी से गिर रही है. कंज्यूमर खर्च, निवेश और एक्सपोर्ट हर जगह कमी आई है. इस साल 2023 की दूसरी तिमाही में चीनी इकॉनमी 3.2% सालाना दर से बढ़ रही है, वहीं अमेरिकी इकॉनमी की विकिसा दर 6% रहने का अनुमान लगाया गया है. आंकड़ों से यह साफ है कि चीनी अर्थव्यस्था पिछड़ रही है. अमेरिका के साथ लंबे समय से ट्रेड वार में फंसे रहने का दूरगामी असर भी मानो अब दिखने लगा है.

क्या छिपा रहे शी जिनपिंग?

'द इकॉनमिस्ट' की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की इस हालत के सबसे बड़े जिम्मेदार सत्ता पर काबिज शी जिनपिंग है. उनकी विस्तारवादी नीतियों, छोटे और गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंसाने की वजह से भी चीनी अर्थव्यवस्था के पैर डगमगाए हैं. शी जिनपिंग द्वारा सत्ता के केंद्रीकरण से स्थिति बिगड़ी है. इसलिए देश के हालातों को वो दुनिया से छिपा रहे हैं. ऐसी बातों को उस वक्त और बल मिला जब ब्रिक्स समिट (Brics summit) के दौरान उन्होंने एक अहम बैठक से कन्नी काट ली.

दरअसल ब्रिक्स बिजनस फोरम में जब पीएम मोदी ने कहा आने वाले कुछ दिनों में भारत ग्लोबल इकॉनमी का इंजन बनेगा. उनके बाद जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की बारी आई तो उन्होंने कन्नी काट ली. जिनपिंग को बीजिंग की इकॉनमी पर बोलना था. लेकिन उन्होंने अपनी जगह कॉमर्स मिनिस्टर वेंग वेनताओ को भेज दिया. जाहिर है कि चीन की खस्ताहाल इकॉनमी पर पूरी दुनिया की नजरें लगी हैं. ऐसे में जिनपिंग का इकॉनमी के बारे में कुछ नहीं बोलना संदेह पैदा कर रहा है.

चीन क्यों फेल हो रहा है एक्सपर्ट ने बताई वजह

एक्सपर्ट्स का कहना है कि जिनपिंग के खराब फैसलों की वजह से चीन पिछड़ रहा है. कुछ बड़े उदाहरणों की बात करें तो देश के 16 फीसदी बिल्डरों पर जीडीपी का 16 फीसदी कर्ज है. साल की दूसरी तिमाही में विदेशी निवेश में 87% की गिरावट आई है. पिछले कुछ महीनों में करीब 2-15 लाख करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा देश के बाहर गई है.

पाकिस्तान को कर्ज दे कर उसे पालना हो या सी-पैक परियोजना में हो रही देरी इन सब चीजों का नुकसान अब दिखने लगा है. दूसरी ओर चीन के सर्वशक्तिमान नेता शी जिनपिंग चुनौतियों से निपटने के बजाए अपनी सत्ता को बचाए रखने पर फोकस कर रहे हैं. योग्य व्यक्तियों की अनदेखी हो रही है, क्योंकि शी जिनपिंग देश के कामकाज में विशेषज्ञों की बजाए अपने वफादारों को जगह दे रहे हैं.

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