10 साल तक पाकिस्‍तान पर हुकूमत करने वाले परवेज मुशर्रफ को क्‍यों सुनाई गई सजा-ए-मौत, पढ़ें पूरा मामला
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10 साल तक पाकिस्‍तान पर हुकूमत करने वाले परवेज मुशर्रफ को क्‍यों सुनाई गई सजा-ए-मौत, पढ़ें पूरा मामला

विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने मंगलवार को पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को मौत की सजा सुनाई. तीन सदस्‍यीय जजों ने 2-1 के मत से यह फैसला दिया. इस पर विस्तृत फैसला 48 घंटों में जारी किया जाएगा. 

10 साल तक पाकिस्‍तान पर हुकूमत करने वाले परवेज मुशर्रफ को क्‍यों सुनाई गई सजा-ए-मौत, पढ़ें पूरा मामला

इस्लामाबाद : पाकिस्तान (Pakistan) के इतिहास में पहली बार इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को पूर्व सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ को संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत 'उच्च देशद्रोह' का दोषी पाया और उन्हें मौत की सजा सुनाई. पेशावर उच्च न्यायालय (Peshawar High Court) के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में विशेष अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) को मौत की सजा सुनाई. तीन सदस्‍यीय जजों ने 2-1 के मत से यह फैसला दिया. इस पर विस्तृत फैसला 48 घंटों में जारी किया जाएगा. डॉन न्यूज की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. पूर्व सैन्य शासक ने साल 1999 से 2008 तक 10 सालों तक पाकिस्‍तान में राज किया था.

पूर्व सैन्य प्रमुख वर्तमान में संयुक्त अरब अमीरात में दुबई (Dubai) में हैं. 3 नवंबर, 2007 को पाकिस्‍तान में आपातकाल की स्थिति के लिए पूर्व सैन्य तानाशाह पर उच्च देशद्रोह का मुकदमा दिसंबर 2013 से लंबित था.

उन पर दिसंबर 2013 में देशद्रोह के मामले में दर्ज किया गया था. उस वक्‍त पीएमएल-एन सरकार सत्ता में थी. मुशर्रफ को 31 मार्च 2014 को दोषी ठहराया गया था और अभियोजन पक्ष ने उसी साल सितंबर में विशेष अदालत के समक्ष पूरे सबूत पेश किए थे. हालांकि, अपीलीय मंचों पर मुकदमेबाजी के कारण पूर्व सैन्य तानाशाह का मुकदमा चलता रहा और उन्‍होंने मार्च 2016 में पाकिस्तान छोड़ दिया. 

इससे पहले लाहौर हाईकोर्ट (एलएचसी) ने सोमवार को पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के आवेदन पर पाकिस्तान सरकार को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें पूर्व में इस्लामाबाद में एक विशेष अदालत के समक्ष लंबित देशद्रोह मामले की कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था.

मुशर्रफ ने अपने आवेदन में एलएचसी को विशेष अदालत के समक्ष लंबित कार्यवाही की घोषणा करने और उसके खिलाफ सभी कार्रवाई करने, उच्च देशद्रोहकी शिकायत शुरू करने से लेकर अभियोजन पक्ष की नियुक्ति और ट्रायल कोर्ट के गठन को असंवैधानिक करार दिया था.

तीन सदस्यीय विशेष अदालत से उम्मीद की जा रही थी कि वह लंबे समय से चले आ रहे इस देशद्रोह के मामले में मंगलवार को अपना फैसला सुना सकती है. हालांकि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय (आईएचसी) ने इस मामले में फैसला सुनाने पर रोक लगाने का आदेश दिया था. 

मामले के संबंध में विशेष अदालत द्वारा फैसला सुनाने से एक दिन पहले 27 नवंबर को इस्लामाबाद हाईकोर्ट का आदेश आया था. यह आवेदन 14 दिसंबर को अधिवक्ता ख्वाजा अहमद तारिक रहीम और अजहर सिद्दीकी के माध्यम से दायर किया गया था. सरकार को नोटिस जारी करते हुए एलएचसी ने मंगलवार को मुख्य याचिका के साथ सुनवाई करने का फैसला किया था.

उल्‍लेखनीय है कि तीन नवंबर 2007 को आपातकाल की स्थिति के लिए पूर्व राष्ट्रपति का देशद्रोह मुकदमा दिसंबर 2013 से लंबित था. उन पर दिसंबर 2013 में देशद्रोहका मामला दर्ज किया गया था. मुशर्रफ को 31 मार्च 2014 को दोषी ठहराया गया और अभियोजन पक्ष ने उसी साल सितंबर में विशेष अदालत के समक्ष पूरे सबूत पेश किए थे.

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