लाहौर में जमात उद दावा (जेयूडी) मुख्यालय में सरकार की तरफ से नियुक्त मौलाना ने नमाज पढ़वाई और साप्ताहिक खुतबा पढ़ा.
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लाहौर: मुंबई आतंकवादी हमले के सरगना हाफिज सईद को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने शुक्रवार को लाहौर में जमात उद दावा (जेयूडी) मुख्यालय में खुतबा पढ़ने से रोक दिया जहां सरकार की तरफ से नियुक्त मौलाना ने नमाज पढ़वाई और साप्ताहिक खुतबा पढ़ा.
करीब दो दशक पहले जेयूडी के मुख्यालय जामिया मस्जिद अल कदासिया की स्थापना के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि सरकार की तरफ से नियुक्त मौलाना ने जुम्मे के दिन खुतबा पढ़ा हो. मस्जिद कदासिया जब पंजाब सरकार के नियंत्रण में था तब भी सईद को शुक्रवार को खुतबा पढ़ने से नहीं रोका गया था.
जेयूडी परिसर के आसपास शुक्रवार की सुबह से ही भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था. इस परिसर में आवासीय क्वार्टर, एक पुस्तकालय और किताब की दुकानें हैं.
'सरकार ने जेयूडी परिसर को पूरी तरह अपने नियंत्रण में लिया'
पंजाब सरकार के एक अधिकारी ने बताया, 'सरकार ने जेयूडी परिसर को पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया है इसलिए कुछ ही स्थानीय लोग जुम्मे की नमाज अदा करने आए. पंजाब सरकार की तरफ से नियुक्त कादरी अब्दुल रउफ ने जुम्मे की नमाज अदा की जो गैर राजनीतिक थी.'
सरकार की कार्रवाई से पहले काफी संख्या में लोग सईद का खुतबा सुनने के लिए हर शुक्रवार को मस्जिद में इकट्ठा होते थे जिनमें अधिकतर जेयूडी के कार्यकर्ता और इससे सहानुभूति रखने वाले होते थे.
'परिसर में सभी गतविधियां रोक दी गई हैं'
अधिकारी ने बताया, 'परिसर में सभी गतविधियां रोक दी गई हैं. सभी आवासीय क्वार्टर, पुस्तकालय और किताब की दुकानों को सील कर दिया गया है और वहां पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है.' उन्होंने कहा कि लोगों के नमाज पढ़ने के लिए केवल मस्जिद के इलाके को छोड़ दिया गया है. उन्होंने कहा, 'मस्जिद का क्षेत्र नमाज अदा करने के लिए रोजाना पांच बार खुलेगा.'
अधिकारी ने कहा कि सईद और जेयूडी के अन्य शीर्ष नेता शुक्रवार को परिसर में नहीं आए. उन्होंने कहा, 'जेयूडी नेतृत्व को चेतावनी दी गई है कि वे परिसर में नहीं आएं क्योंकि सरकार ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया है.' सरकार द्वारा गुरुवार को परिसर को अपने नियंत्रण में लेने से पहले वहां काफी संख्या में भारी हथियारों से लैस जेयूडी के सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे.
अधिकारी ने कहा, 'सईद ने पंजाब सरकार से आग्रह किया था कि उसे कदासिया मस्जिद में शुक्रवार का खुतबा पढ़ने दिया जाए लेकिन इससे इंकार कर दिया गया.'