मोदी के 'मिशन कश्मीर' से पाकिस्तान में कोहराम, सताने लगा PoK छिनने का डर
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मोदी के 'मिशन कश्मीर' से पाकिस्तान में कोहराम, सताने लगा PoK छिनने का डर

एक वक्त था जब पाकिस्तान कश्मीर पर अपना दावा ठोक रहा था. लेकिन अब उसे PoK के भी अपने हाथ से निकलने का डर सताने लगा है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: एक वक्त था जब पाकिस्तान कश्मीर पर अपना दावा ठोक रहा था. अब हालत ये है कि PoK भी उसके हाथ से निकलना करीब-करीब तय हो चुका है.PoK में भारत का 'तिरंगा प्लान' काम कर रहा है और इमरान खान को इसी तिरंगा प्लान का डर सता रहा है.उनके बयानों से लगता है कि इमरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगे सरेंडर कर चुके हैं.

  1. इंटरव्यू में इमरान ने जताया डर, PoK को वापस छीन लेगा भारत
  2. इमरान को भारत में कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद थी
  3. कश्मीर के बजाय Pok को बचाने की सोचें इमरान: मौलाना फजलुर रहमान 
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इंटरव्यू में इमरान ने जताया डर, PoK को वापस छीन लेगा भारत
बताते चलें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कश्मीर पर सरेंडर करने की बात एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में मान ली है. उन्हें इसका मलाल कम है कि कश्मीर भारत का हिस्सा है. उन्हें डर इस बात का है कि कल कहीं pok भी पाकिस्तान के कब्ज़े से आज़ाद न हो जाए. 

इमरान को भारत में कांग्रेस की सरकार बनने की उम्मीद थी
दरअसल इमरान इस बात से निश्चिंत थे कि भारत में कांग्रेस की सरकार है. लेकिन मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल ने उनके होश उड़ा दिए हैं. झूठ बोलकर पाकिस्तान में जैसे तैसे सरकार चला रहे इमरान आज भी बालाकोट एयर स्ट्राइक को भूल नहीं पाए हैं. वे चाहकर भी यह बात भुला नहीं पाते हैं कि एयर स्ट्राइक ने पाकिस्तानी सेना की कैसे दुर्गति की थी.

बालाकोट हमले के बाद से डर गए हैं इमरान
बालाकोट हमले के बाद इमरान खान शुरू में कहते रहे कि कोई एयर स्ट्राइक हुई ही नहीं. फिर मजबूरन मान लिया कि स्ट्राइक हुई थी लेकिन नुकसान नहीं हुआ. इमरान खान आज तक इस हमले का सच बताने की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं. उन्हें डर है कि ये सच बताते ही वे तख्तापलट का शिकार हो जाएंगे.

कश्मीर के बजाय Pok को बचाने की सोचें इमरान: मौलाना फजलुर रहमान  
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान जमीयत-उल-इस्लामी पार्टी के लीडर मौलाना फजलुर रहमान ने इमरान खान को दो टूक लहजे में समझा दिया था कि पीओके में पाकिस्तान के दिन पूरे हो चुके हैं. इमरान को आईना दिखाते हुए उन्होंने साफ कर दिया था कि हिंदुस्तान से लड़कर कश्मीर हथियाने का ख्वाब अब छोड़ दीजिए. किसी तरह मुजफ्फराबाद बचाने की सोचिए.

PoK वापसी के साथ आतंकियों के सफाये का भी प्लान
सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी का प्लान केवल PoK को पाकिस्तान से मुक्त कराना नहीं है बल्कि आतंकियों का सफाया करना भी है. दाऊद इब्राहिम पर ज़ी न्यूज़ के खुलासे के बाद पाकिस्तान ये मानने को मजबूर हो चुका है कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में ही है. लेकिन इधर उधर की बातें करके भटकाने की कोशिश कर रहा है. 

पाकिस्तान के परमाणु बम आधुनिक बनाने में मदद कर रहा है चीन
भारतीय खुफ़िया एजेंसियों को मिली ख़बर के मुताबिक चीन अतंर्राष्ट्रीय परमाणु समझौतों के विरुद्ध पाकिस्तान को न्यूक्लियर हथियार बनाने में मदद कर रहा है. इतना ही नहीं, चीन पाकिस्तान को चश्मा, खुशाब और कराची में न्यूक्लियर पावर प्रोजेक्ट बनाने में भी मदद कर रहा है. दरअसल पाकिस्तान भारतीय सेना से पारंपरिक युद्ध में बुरी तरह से हारने के खतरे बुरी तरह डर गया है और अब वह टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों को हासिल करना चाहता है.

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क्या होते हैं टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार
छोटे इलाकों में तबाही फैलाने वाले हथियारों को टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार कहा जाता है. इसे आप इस तरह से भी समझ सकते हैं कि अगर भारतीय सेनाएं पाकिस्तान के किसी इलाक़े में घुस जाती हैं तो उन पर टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा.

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प्लूटोनियम आधारित परमाणु बम पर काम कर रहे हैं चीन- पाकिस्तान
सूत्रों के मुताबिक चीनी वैज्ञानिक पाकिस्तान को प्लूटोनियम पर आधारित टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार बनाने की तकनीक देने की योजना पर काम कर रहे हैं. पाकिस्तान के पास छोटी दूरी तक मार करने वाली हत्फ 9 (नस्र) मिसाइलें हैं. जिसे चीनी वीशी रॉकेट सिस्टम की कॉपी करके तैयार किया गया है.  

हत्फ 9 (नस्र) मिसाइल की खासियतें
- नस्र मिसाइल की मारक क्षमता 60 किमी है
- मोबाइल लॉंचर सिस्टम के ज़रिए तैनात किया जा सकता है. 
-ठोस ईंधन पर चलती हैं 
- इसे बहुत कम समय में लांच किया जा सकता है

2013 में नस्र मिसाइलों को अपने बेड़ें में शामिल कर चुका है पाकिस्तान
माना जाता है कि इसे 2013 में पाकिस्तानी सेना में शामिल किया. इसे बड़े सैनिक हमले को रोकने के लिए एक कारगर हथियार माना जाता है. टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियार किसी सैनिक ठिकाने या फॉर्मेशन के ऊपर इस्तेमाल किए जा सकते हैं और इनका असर कम इलाक़े में सीमित होता है. 

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