संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में इमरान खान (Imran khan) के भाषण का अहम विषय कश्मीर और इस्लामोफोबिया रहा. एक प्रकार से इमरान खान (Imran khan) कट्टरवादी इस्लाम का का मसीहा बनाने की कोशिश कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने खुद को इस्लामिक देशों का सबसे बड़ा नेता भी साबित करने का प्रयास किया.
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न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच से पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran khan) से जिस बात की उम्मीद हो रही थी उन्होंने वैसा ही भाषण दिया. उनके भाषण का बड़ा हिस्सा इस्लाम, कश्मीर और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही ईर्द-गिर्द रहा. यूएन के मंच से झूठ बोलने के दौरान इमरान खान (Imran khan) ने समय सीमा का भी ख्याल नहीं रखा और अलार्म बजने के बाद भी बोलते रहे. सभी नेताओं को बोलने के लिए 15 मिनट का वक्त दिया गया था, लेकिन इमरान खान (Imran khan) करीब 50 मिनट बोले. जैसे ही उन्होंने 15 मिनट से लंबा भाषण देना शुरू किया, उनके सामने की लाल बत्ती जलने लगी, लेकिन फिर भी वह लगातार बोलते रहे.
इमरान खान (Imran khan) के भाषण का अहम विषय कश्मीर और इस्लामोफोबिया रहा. एक प्रकार से इमरान खान (Imran khan) कट्टरवादी इस्लाम का का मसीहा बनाने की कोशिश कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने खुद को इस्लामिक देशों का सबसे बड़ा नेता भी साबित करने का प्रयास किया.
इसके बाद इमरान ख़ान कश्मीर के मुद्दे पर आ गए. उन्होंने इस मुद्दे पर 14 मिनट से लंबा भाषण दिया. उन्होंने UNGA के मंच पर वही बातें दोहराई, जो पिछले डेढ़ महीने से वह लगातार कर रहे हैं. उन्होंने भारत का ज़िक्र करते हुए कश्मीर वाला एजेंडा चलाया. एक बार फिर परमाणु युद्ध की धमकी दी.
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इमरान खान (Imran khan) ने कांग्रेस सरकार में पूर्व गृह मंत्री का ज़िक्र करते हुए UNGA के मंच से RSS और पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला बोला और हिन्दु आतंकवाद जैसे शब्द को भुनाने की भी कोशिश की. इमरान खान (Imran khan) को देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था, कि वह पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री के तौर पर UNGA में भाषण दे रहे हैं. बल्कि इमरान ख़ान किसी कट्टरपंथी मौलाना की तरह अपना भाषण दे रहे थे.
यहां आपको बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह ही 'इस्लामिक आतंकवाद' शब्द का प्रयोग किया था. साथ ही उन्होंने दुनिया से इसके खिलाफ लड़ने की अपील की थी. लगता है इमरान खान (Imran khan) को यह बात दिल में चुभ गई है, इसलिए उन्होंने इस शब्द के बचाव के लिए उन्होंने UNGA के मंच को चुना.