चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात से पहले सीमा विवाद को लेकर एस जयशंकर का आया बयान
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चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात से पहले सीमा विवाद को लेकर एस जयशंकर का आया बयान

चीन के साथ विवाद को विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने ‘बेहद गंभीर’ स्थिति करार दिया है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: चीन के साथ विवाद को विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने ‘बेहद गंभीर’ स्थिति करार दिया है. मॉस्को रवाना होने से पहले सोमवार को विदेश मंत्री ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति  काफी गंभीर है और मामले के समाधान के लिए राजनीतिक स्तर पर गहराई से बातचीत की जरूरत है.

  1. रूस रवाना होने से पहले विदेश मंत्री ने दिया बयान
  2. मॉस्को में चीनी विदेश मंत्री से मुलाकात करेंगे जयशंकर
  3. बीजिंग को पिछले समझौतों पर ध्यान देने की नसीहत

जयशंकर मॉस्को में चीनी विदेश मंत्री वांग यी (Chinese Foreign Minister Wang Yi) से मुलाकात करेंगे. ऐसे में उन्होंने पहले ही चीन को भारत के स्टैंड से अवगत करा दिया है. विदेश मंत्री रूस में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे.  

अभी नहीं बता सकता
विदेश मंत्री जयशंकर ने आगे कहा कि सीमा पर शांति के बिना दोनों देशों के रिश्ते सौहार्दपूर्ण नहीं रह सकते. इस सवाल के जवाब में कि वह अपने चीनी समकक्ष को क्या संदेश देंगे? विदेश मंत्री ने कहा कि मैं उनसे क्या कहूंगा यह मैं अभी नहीं बता सकता, लेकिन मेरा जोर शांति के रास्ते समाधान निकालने पर रहेगा. 

पिछले समझौतों पर ध्यान दे चीन
एस जयशंकर ने 1993 के बाद से सीमा प्रबंधन पर दोनों देशों के बीच हुए समझौतों का जिक्र करते हुए कहा कि चीन को पिछले सभी समझौतों को ध्यान में रखना चाहिए. मौजूदा वक्त में जो हालात पैदा हुए हैं, वो बेहद गंभीर हैं. खासकर मई से LAC पर स्थिति  काफी गंभीर है और मामले के समाधान के लिए राजनीतिक स्तर पर गहराई से बातचीत की जरूरत है.

रक्षामंत्री ने चेताया था 
जयशंकर 10 सितंबर को मॉस्को में एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक के इतर चीनी विदेश मंत्री से मिलने वाले हैं. इससे पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी चीनी समकक्ष से मुलाकात की थी. रक्षामंत्री ने चीन को स्पष्ट शब्दों में बता दिया था कि भारत उसकी हर नापाक हरकत का बखूबी जवाब देना जानता है. उन्होंने कहा था कि भारत सभी देशों से मधुर संबंधों का पक्षधर है, लेकिन इसे उसकी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए. वह किसी भी कीमत पर अपनी अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. 

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