Pakistan Coup: पाकिस्तान (Pakistan) तो बनने के बाद से ही कट्टरपंथ की राह पर चलता रहा है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस आग में घी डालने का काम किसने किया था. किसने पाकिस्तान को और ज्यादा धर्मांधता की तरफ धकेल दिया.
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General Jia Ul Haq Story: पाकिस्तान (Pakistan) में लोकतंत्र का रिकॉर्ड हमेशा से पस्त ही रहा है. यहां की सरकार पाकिस्तानी सेना (Pakistan Army) और आर्मी चीफ के इशारे पर चलती है. परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharraf) जैसे लोग तख्तापलट का करके पाकिस्तान का आका भी बन चुके हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान के सबसे बड़े विलेन का नाम जनरल जिया उल हक (General Jia Ul Haq) था. आज ही के दिन 16 सितंबर को वह पाकिस्तान का राष्ट्रपति बन गया था. बेगुनाहों का कल्त करवाने वाला जनरल जिया उल हक वो शख्स था जिसने पाकिस्तान और ज्यादा कट्टरता की तरफ ढकेल दिया था. जिस जुल्फिकार अली भुट्टो ने उसे आर्मी चीफ बनाया, जनरल जिया उल हक ने उनका ही तख्ता पलट करवा दिया और खुद पाकिस्तान का सुप्रीम बन गया.
कौन था जनरल जिया उल हक?
जनरल जिया उल हक के बैकग्राउंड की बात करें तो जिया के पिता भी आर्मी में थे. वो एक क्लर्क के रूप में काम करते थे. 12 अगस्त, 1924 को पंजाब के जालंधर में जनरल जिया उल हक का जन्म हुआ था. जनरल जिया उल हक ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से पढ़ाई की थी. वो भी पढ़-लिखकर आर्मी में भर्ती हुआ और बंटवारे के बाद पाकिस्तान चला गया. पाकिस्तान में वो पहले आर्मी चीफ बना और फिर तख्तापलट करके पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू कर दिया. इसके बाद तो वह खुद राष्ट्रपति भी बन गया.
जिया ने जिसको मक्खन लगाया, उसी को मरवाया
कहते हैं कि जनरल जिया उल हक ने आर्मी चीफ बनने के लिए जिसको मक्खन लगाया, उसी को मरवा दिया. जनरल जिया उल हक अपना काम निकलवाने में बड़ा तेज था. ये बात तब की है जब जिया उल हक आर्मी चीफ नहीं था. तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो थे. जिया उल हक उनकी चमचागिरी करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता था. एक बार तो जिया उल हक ने खुद सेना के जवानों और अधिकारियों व उनके परिजनों को सड़क के दोनों तरफ खड़ा करके जुल्फिकार अली भुट्टो के काफिले पर फूलों की बरसात करवाई थी. हो सकता है कि ऐसी चीजों की वजह से ही जिया, भुट्टो की नजर में आ गए थे.
जिया ने भुट्टो को दिया धोखा
गौरतलब है कि साल 1976 में टिक्का खान के रिटायरमेंट के बाद आर्मी चीफ की कुर्सी खाली हो गई थी. भुट्टो सोच ही रहे थे कि कोई ऐसा आर्मी चीफ बने जिससे उनकी खुद की कुर्सी को खतरा ना हो. उसपर पूरा भरोसा किया जा सके. फिर बाद में भुट्टो ने जनरल जिया उल हक के नाम पर मुहर लगाई और आर्मी चीफ बना दिया. इतिहास गवाह है कि जनरल जिया उल हक को आर्मी चीफ बनाकर भुट्टो ने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली.
जिया को मिली बहुत बुरी मौत
लेकिन देखने वाली बात ये है कि पाकिस्तान के इस सबसे बड़े विलेन का अंजाम भी बहुत बुरा हुआ. 17 अगस्त, 1988 को जिया उल हक तामेवाली फायरिंग रेंज का दौरा करने गया था. वापस करते समय उसका प्लेन क्रैश हो गया और जमीन पर आ गिरा. प्लेन में बैठे लोग जलकर खाक हो गए. इसमें जिया की भी मौत हो गई. जिया को आखिर ऐसी मौत मिली की उसकी बॉडी को पहचानना भी मुश्किल हो गया.