India Pakistan: कमांडरों के सम्मेलन के दौरान जनरल बाजवा ने ये भी स्वीकार किया था कि पाकिस्तानी सेना का भारतीय सेना के सामने कोई मुकाबला नहीं है. हामिद मीर ने पूर्व सेना प्रमुख के हवाले से खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना से लड़ने में समर्थ नहीं है.
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General Bajwa Statement: पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने आखिरकार उस बात को कुबूल कर ली जिससे आम पाकिस्तान इंकार करता रहा है. जनरल बाजवा ने कहा, पाकिस्तान की सेना भारतीय सेना के सामने नहीं ठहरती है. भारत के खिलाफ जंग के लिए उसके पास गोला-बारुद और आर्थिक ताकत की कमी है.
पाकिस्तान के पत्रकार हामिद मीर ने एक शो में जनरल बाजवा के बयान का जिक्र किया. हामिद मीर के अनुसार, जनरल बाजवा ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान भारत के साथ जंग नहीं कर सकता. कमांडरों के सम्मेलन के दौरान जनरल बाजवा ने ये भी स्वीकार किया था कि पाकिस्तानी सेना का भारतीय सेना के सामने कोई मुकाबला नहीं है. हामिद मीर ने पूर्व सेना प्रमुख के हवाले से खुलासा किया कि पाकिस्तानी सेना भारतीय सेना से लड़ने में समर्थ नहीं है.
हामिद मीर ने शो के दौरान कहा कि जनरल बाजवा ने 2021 में खुलासा किया था कि उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ गुप्त बातचीत की थी. संघर्ष विराम की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान यात्रा की योजना कैसे बनी इस बारे में भी उन्होंने बताया.
इमरान भी कर चुके हैं ये दावा
इससे पहले पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने कहा था कि पूर्व सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने उन पर भारत के साथ दोस्ती बहाल करने के लिए दबाव डाला था. द न्यूज ने इमरान खान के हवाले से कहा कि बाजवा भारत के साथ दोस्ती चाहते थे और उन्होंने इसके लिए उन पर दबाव बनाया. इमरान खान ने कहा, बाजवा एक दिन कुछ कहते थे और अगले दिन मुकर जाते थे.
बता दें कि दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध पिछले कई सालों से ठप पड़े हुए हैं. पाकिस्तान ने न केवल राजनयिक संबंधों को डाउनग्रेड किया बल्कि भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार को भी निलंबित कर दिया. हालांकि 2021 में जब दो देश बैकचैनल वार्ता में लगे हुए थे, तब संबंध सुधरने की आशा दिखाई देने लगी थी. संयुक्त अरब अमीरात में पाकिस्तान और भारत के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों के बीच गुप्त बैठकों के कारण नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर फरवरी 2021 में संघर्ष विराम का नवीनीकरण हुआ.
अगला कदम द्विपक्षीय व्यापार को बहाल करना था लेकिन यह प्रक्रिया तब रुक गई जब तत्कालीन प्रधानमंत्री खान की सरकार ने भारत से चीनी और कपास आयात करने के फैसले को ठुकरा दिया. कुछ रिपोर्ट्स में बाद में दावा किया गया कि पर्दे के पीछे की बातचीत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान यात्रा की संभावना पर भी चर्चा हुई थी.
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