पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) का कहना है कि चूंकि कोरोना महामारी ने विकासशील देशों के सामने आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कर्ज अदायगी में उन्हें कुछ वक्त के लिए राहत देनी चाहिए.
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इस्लामाबाद: आर्थिक बदहाली से गुजर रहे इमरान खान के ‘नए पाकिस्तान’ के पास कर्ज चुकाने के भी पैसे नहीं बचे हैं. कोरोना महामारी के रूप में पड़ी दोहरी मार से पाकिस्तान (Pakistan) बेहाल हो गया है. अब उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कर्ज वापसी में राहत देने की गुहार लगाई है. इसके अलावा, प्रधानमंत्री खान ने अपने सबसे बड़े दानदाता सऊदी अरब को मनाने की कोशिशों को फिर से तेज कर दिया है और चीन के समक्ष झोली फैलाना भी जारी है.
देनदारी निरस्त कर दें
अपनी बदहाल स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने अपने कर्जदाता देशों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कोरोना वायरस महामारी के खत्म होने तक कर्ज की किश्त चुकाने से छूट का अनुरोध किया है. खान ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के खत्म होने तक कम आय वाले और सर्वाधिक प्रभावित देशों के लिए कर्ज अदायगी को निलंबित और अल्प विकसित देशों की देनदारी को निरस्त कर दिया जाना चाहिए.
पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान की मुश्किलें कोरोना महामारी से बढ़ गई हैं. इमरान खान सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) सहित वैश्विक निकायों से आर्थिक मदद की व्यवस्था कर रही है ताकि इस संकट से उबरा जा सके. COVID-19 पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के विशेष सत्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने दस सूत्री एजेंडा पेश किया, जिसमें कर्ज चुकाने में राहत देने की बात कही गई है. साथ ही कुछ और बिंदुओं का भी उल्लेख किया गया, जिस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ध्यान देने की जरूरत है.
सबसे पहले बात ‘राहत’ की
इमरान खान के एजेंडे में पहले स्थान पर कम आय वाले और सर्वाधिक प्रभावित देशों के लिए महामारी के खत्म होने तक कर्ज अदायगी निलंबित करने का अनुरोध है. दूसरे स्थान पर ऐसे अल्प विकसित देशों के लिए कर्ज माफी की मांग है, जो अपना कर्ज अदा नहीं कर सकते. संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस दो दिवसीय वर्चुअल विशेष सत्र में दुनियाभर के 100 लीडर और कई मंत्रियों ने हिस्स्सा लिया
कड़े उपायों का नहीं किया समर्थन
पाकिस्तान में कोरोना की बिगड़ती स्थिति के लिए इमरान खान ही दोषी हैं. उन्होंने शुरुआत में कड़े उपायों का समर्थन नहीं किया और अब भी उनका पूरा फोकस आर्थिक मुद्दों पर ही केंद्रित है. पाकिस्तान में अब तक 410,072 लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं और 8,260 लोगों की मौत हुई है. स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते खर्चे ने इमरान सरकार की कमर तोड़ दी है. ऐसे में वह चाहते हैं कि उनकी गलतियों को नजरंदाज करते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय कर्ज चुकाने में राहत प्रदान करे.
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान का सार्वजनिक ऋण इस साल बढ़कर लगभग 37,500 अरब पाकिस्तानी रुपए हो जाएगा. जब पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) सरकार सत्ता में आई थी, तब सार्वजनिक ऋण 24,800 लाख करोड़ रुपए था, लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान की गलत नीतियों के चलते स्थिति लगातार खराब होती गई. अब हालात ये हो चले हैं कि पाकिस्तान के पास कर्ज चुकाने के भी पैसे नहीं हैं. यदि उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से राहत नहीं मिलती है, तो आने वाले दिन और भी बुरे साबित होंगे.