Pakistan Food Shortage: बाढ़ के बाद पाकिस्तान (Pakistan) में खाने-पीने की चीजों की भारी कमी हो गई है. इस बीच पाकिस्तान को पड़ोसी देशों से खाद्य सामग्री आयात करने में दिक्कत आ रही है.
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Pakistan Food Inflation: पाकिस्तान (Pakistan) में बाढ़ (Flood) से फसल नष्ट होने के कारण प्याज (Onion), आलू (Potato), टमाटर (Tomato) और अन्य खाद्य सामग्रियों की भारी कमी हो गई है. इसके कारण पूरे देश में खाने-पीने की चीजों की कीमतें (Pakistan Food Price List) काफी ऊंचाई तक पहुंच गई हैं. इस बीच, पाकिस्तानी इम्पोर्टर (Pakistani Importers) अफगानिस्तान (Afghanistan) और ईरान (Iran) से खाद्य सामग्री (Food Items) के इम्पोर्ट के भुगतान के लिए कालाबाजारी (Black Marketing) पर निर्भर हैं, क्योंकि एक्सचेंज कंपनियों या बैंकों से डॉलर (Dollar) खरीदने की अनुमति नहीं है.
डॉलर की कमी से पाकिस्तान परेशान
डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे हालात में पाकिस्तान सरकार पड़ोसी देशों ईरान और अफगानिस्तान से इन खाद्य सामग्रियों के इम्पोर्ट की अनुमति देने को मजबूर हुई है. हालांकि, इन आयातों के लिए भुगतान करने को डॉलर के प्रावधान की कोई व्यवस्था नहीं है.
पाकिस्तान बार्टर सिस्टम का पालन करने के लिए मजबूर
रिपोर्ट के मुताबिक, इम्पोर्टर को पाकिस्तान में उपलब्ध खाद्य पदार्थों का एक्सपोर्ट करके अपने अफगानिस्तानी और ईरानी समकक्षों के साथ वस्तु विनिमय सौदे (Barter Deals) करने को कहा गया है. इसका मतलब है आयात करने के लिए सामान के बदले सामान दिया जाए.
पाकिस्तान में लिया जा रहा हवाला का सहारा
पेशावर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सूत्रों ने अखबार को बताया कि काबुल के साथ लोकल मुद्राओं में आयात डील संभव थी, क्योंकि खैबर पख्तूनख्वा में अफगानी मौजूद हैं. सूत्रों के मुताबिक, अफगान निर्यातक आमतौर पर अमेरिकी डॉलर मांगते हैं और कैश भुगतान करने या दुबई के जरिए भुगतान करने पर जोर देते हैं. दुबई से भुगतान के लिए हुंडी या हवाला प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है.
इसके अलावा हवाला एक अनौपचारिक धन हस्तांतरण प्रणाली (Money Transfer System) है, जो पैसे की वास्तविक आवाजाही के बिना एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को मनी ट्रांसफर की सुविधा देता है. एक प्रमुख करेंसी डीलर मलिक बोस्तान ने कहा कि अधिकतर आयातक अफगान विक्रेताओं को कैश डॉलर या दुबई के जरिए भुगतान कर रहे हैं. ऐसे में आयातक भुगतान के लिए डॉलर जुटाने को कालाबाजारी पर निर्भर हैं.
(न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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