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Winter Olympic 2022: चीन (China) में विंटर ओलंपिक बस शुरू होने ही वाले हैं. एक परिपक्व देश का परिचय देते हुए भारत हालांकि इन खेलों में अपना प्रतिनिधिमंडल भेज रहा है. लेकिन चीन ने ऐन मौके पर ऐसी हरकत कर दी है, जिसने देश के रणनीतिकारों को फिर से सोचने को मजबूर कर दिया है.
सहयोगी वेबसाइट WION के मुताबिक चीन (China) ने विंटर ओलंपिक (Winter Olympic 2022) में मशाल जलाने के लिए टॉर्च बिअरर के रूप में PLA के सैनिक का चयन किया. वह सैनिक जून 2020 में भारतीय सैनिकों के साथ गलवान घाटी में हुए हिंसक झड़प में शामिल हो चुका है. इस सैनिक की पहचान PLA के रेजिमेंट कमांडर Qi Fabao के रूप में हुई है. चीन के ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि गलवान घाटी में भारत के साथ हुई सैन्य झड़प (Galwan Clash) में वह गंभीर रूप से घायल हो गया था. बुधवार को हुई विंटर ओलंपिक की मशाल रिले में वह मशालची के रूप में शामिल हुआ.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, विंटर ओलंपिक (Winter Olympic 2022) पार्क में मशाल रिले शुरू होने के बाद चीन (China) के चार बार के ओलंपिक शॉर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग चैंपियन Wang Meng ने Qi Fabao को ओलंपिक की टॉर्च सौंपी. यह मशाल रिले 2 फरवरी से शुरू होकर 4 फरवरी तक चलेगी. इस दौरान यह मशाल 4 फरवरी तक Hebei प्रांत के पड़ोस में बीजिंग, Yanqing और Zhangjiakou में घूमेगी. इसके बाद 4 फरवरी को वह विंटर ओलंपिक में गेम्स वाले स्थान पर पहुंच जाएगी. उसी दिन विंटर ओलंपिक गेम्स का उद्घाटन भी होना है.
कई पश्चिमी देश मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप में अपने राजनयिक प्रतिनिधिमंडल इन खेलों में भेजने से इनकार कर चुके हैं. हालांकि भारत ने गंभीर देश का परिचय देते हुए इस विंटर ओलंपिक (Winter Olympic 2022) में अपने राजनयिक प्रतिनिधिमंडल को भेजने की बात कही है. इसके बावजूद चीन (China) ने भारत को उकसाने के लिए गलवान झड़प में शामिल अपनी PLA के एक सैनिक को ओलंपिक का मशालची बनाया. माना जा रहा है कि इसके जरिए वह दूसरे देशों का मजाक उड़ाने और खुद को सर्वश्रेष्ठ जतलाकर दुनिया को संदेश देना चाहता है.
बताते चलें कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन (China) के बीच गतिरोध 5 मई, 2020 को पास के पैंगोंग झील में हिंसक झड़प के बाद शुरू हुआ. जून 2020 में सहमति बनने के बाद भी चीन के सैनिकों ने गलवान घाटी में पीछे हटने से इनकार कर दिया था और मुआयने पर पहुंचे भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला कर दिया था. इस झड़प (Galwan Clash) में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक इस घटना में चीन के 40-50 सैनिक मारे गए थे.
शुरुआत में चीन (China) ने झड़प में अपने किसी भी सैनिक के मारे जाने से इनकार किया. घटना के कई महीने बाद जाकर चीन ने कबूल किया कि उसके भी सैनिक इस झड़प में मारे गए थे. उसने दावा किया कि उसके केवल 5 सैनिकों की मौत हुई थी. लेकिन सैन्य हलकों के मुताबिक यह कोरा झूठ के अलावा और कुछ नहीं था. अपनी कथित श्रेष्ठता की पोलपट्टी खुल जाने के डर से चीन ने जानबूझकर कई महीनों तक यह घटना दबाए रखी और बाद में बहुत कम सैनिकों की मौत के साथ इसे कबूल किया.
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पूर्वी लद्दाख में इस सैन्य तनाव को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक 14 दौर की सैन्य वार्ता और कई राजनयिक वार्ताएं हो चुकी हैं. हालांकि अभी तक बातचीत का कोई ठोस समाधान नहीं निकला है. लगातार दूसरे साल दोनों देशों की सेनाओं लद्दाख की कठोर सर्दी में एक-दूसरे के सामने डटी हुई हैं. चीन (China) के किसी भी तरह के दुस्साहस का जवाब देने के लिए भारत की तीनों सेनाओं ने भी अपनी ओर से जोरदार तैयारियां कर रखी हैं.
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