Flight Payment: विमानों में टेलीफोन/स्मार्टफोन/टैबलेट में इंटरनेट ऑन करने की अनुमति नहीं है, तो जब आप केबिन क्रू से खाने-पीने का कोई सामान खरीदते हैं तो अटेंडेंट्स आपके कार्ड से पेमेंट कैसे एक्सेप्ट कर लेते हैं? ये सवाल आपके मन में भी आया होगा. दरअसल फ्लाइट के दौरान यात्रियों को फोन को फ्लाइट मोड में रखने को कहा जाता है. दरअसल इंटरनेट सर्विस इस्तेमाल करने से फ्लाइट का नेविगेशन सिस्टम प्रभावित हो सकता है जिससे फ्लाइट अपना रास्ता भटक सकती है. इस वजह से इंटरनेट बंद रखने को कहा जाता है. इसके बावजूद फ्लाइट में कार्ड पेमेंट हो जाती है. अगर आप इस बारे में नहीं जानते हैं तो आज हम आपको विस्तार से समझाने जा रहे हैं.
सर्वर कार्ड की जानकारी और पेमेंट को वेरिफाई करता है. यदि पेमेंट सफल होता है, तो सर्वर मशीन को एक कन्फर्मेशन मैसेज भेजता है. IFC के फायदे की बात करें तो यह विमानों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी के बावजूद पेमेंट एक्सेप्ट करने की सुविधा प्रदान करता है. यह एक सुरक्षित और भरोसेमंद तरीका है क्योंकि डेटा एन्क्रिप्टेड होता है. यह लेनदेन को फ़ास्ट और आसान बनाता है.
एन्क्रिप्टेड डेटा को मशीन से GPRS (General Packet Radio Service) या GSM (Global System for Mobile Communications) जैसे सेलुलर नेटवर्क के माध्यम से एक सुरक्षित सर्वर पर भेजा जाता है.
आप अपना क्रेडिट या डेबिट कार्ड मशीन में स्वाइप करते हैं. मशीन कार्ड की जानकारी को पढ़ती है और उसे एन्क्रिप्ट करती है.
एयर होस्टेस के पास एक पोर्टेबल पॉइंट-ऑफ-सेल (POS) मशीन होती है जिसे स्वाइप मशीन भी कहा जाता है. यह मशीन इंटरनेट से जुड़ी नहीं होती है, बल्कि इसमें पहले से ही पेमेंट प्रोसेसिंग के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर और डेटा होता है.
ज़्यादातर हवाई जहाजों में यात्रियों को इंटरनेट इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं होती है. इसका मतलब है कि वे ऑनलाइन भुगतान नहीं कर सकते हैं. लेकिन, एयर होस्टेस आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड से भुगतान स्वीकार करने के लिए इन-फ्लाइट कॉमर्स (IFC) नामक एक खास तकनीक का इस्तेमाल करती हैं.
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