ऊबड़-खाबड़ सतह, बड़े-बड़े गड्ढे. चांद की सतह कुछ ऐसी ही है. धरती के इस नेचुरल सैटेलाइट से स्पेस में करीब-करीब हर छोटे बड़े आकार के एस्टेरॉयड टकराते रहते हैं. लेकिन फिर भी अरबों वर्षों से यह आसमान में अपनी धुरी पर टिका हुआ है और धरती के चक्कर काट रहा है. रात में धरती पर रोशनी भी फैलाता है. लेकिन क्या ये कभी बदल सकता है. जरा सोचिए अगर कोई बहुत विशाल एस्टेरॉयड चंद्रमा से टकरा जाए और उसकी जगह से उसे हिला तो धरती पर क्या असर पड़ेगा.
साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के ग्रह वैज्ञानिक क्लार्क चैपमैन ने साल 2010 में बताया था कि यह नामुमकिन सी स्थिति है. क्योंकि चांद को हटाने के लिए उसी के आकार की चीज की जरूरत होगी. अगर किसी ऐसी चीज की चंद्रमा से टक्कर होती है तो हमारे चंद्रमा के टुकड़े-टुकड़े हो जाएंगे और वे धरती पर गिरेंगे, जो बेहद भयानक दृश्य होगा.
उन्होंने कहा कि हमारे सोलर सिस्टम का सबसे बड़ा एस्टेरॉयड (600 मील चौड़ा) सेरेस भी अगर चंद्रमा से टकरा जाता है तो वह भी चांद को कोई नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा. साइंस जर्नलिस्ट संदीप रविन्द्रन के मुताबिक, 'चंद्रमा धरती की परिक्रमा लगभग 0.635 मील प्रति सेकंड की रफ्तार से करता है.' धरती के चारों ओर घूमने की रफ्तार इतनी ज्यादा है कि यह टकराव के प्रभाव को दबा देगी और चांद धरती के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा.'
हालांकि, अगर एस्टेरॉयड की चंद्रमा से टक्कर हुई तो कुछ चिंगारियां निकलेंगी, जिससे काफी तेज रोशनी हो जाएगी. लोगों को आसमान में बहुत ज्यादा चमक नजर आएगी. इसके बाद कई दिनों या हो सकता है हफ्तों तक उल्का वर्षा होगी.
इनमें से कुछ गिरते हुए चंद्रमा के टुकड़े इतने बड़े हो सकते हैं कि वे उल्कापिंड के रूप में धरती की सतह तक पहुंच सकते हैं. लेकिन यह असंभव ही है. इससे धरती पर लोगों की जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़ेगा.पृथ्वी पर जीवन पर शायद कोई असर न पड़े.
किसी भी प्रभाव के बावजूद चंद्रमा की स्थिरता हम धरतीवासियों के लिए अच्छी बात है. रविंद्रन ने हवाई यूनिवर्सिटी के खगोलशास्त्री गैरेथ व्यान-विलियम्स से पूछा कि अगर चंद्रमा की कक्षा धरती के करीब होती तो क्या होता.
उन्होंने कहा, अगर इसकी नई कक्षा धरती से इसकी मौजूदा दूरी को आधा कर दें, तो समुद्री ज्वार लगभग आठ गुना ज्यादा हो जाएगा और बहुत सारे न्यू यॉर्क वासी बुरी तरह भीग जाएंगे.
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