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अगर चांद पर चली ट्रेन तो कैसा होगा नजारा, AI ने दिखाईं तस्वीरें

Train on Moon: अगर हम आपको बताएं कि चांद पर ट्रेन चलाई जा सकती है तो आप कहेंगे कि यह तो किसी साइंस फिक्शन नॉवेल की कहानी लगती है. लेकिन यह सच है. अब इस प्रोजेक्ट को नासा ने भी समर्थन कर दिया है, जिससे यह एक व्यावहारिक प्रोजेक्ट बन गया है. इस मून ट्रेन को नासा के इनोवेटिव एडवांस्ड कॉन्सेप्ट्स प्रोग्राम (NIAC) ने फंडिंग की है, जो 6 इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स में से एक है. यानी नासा अब चांद पर ट्रेन चलाएगा.

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जब हमने इस बारे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI से पूछा कि अगर चांद पर ट्रेन चलेगी तो वहां का नजारा कैसा होगा, तो अद्भुत तस्वीरें निकलकर सामने आईं. नासा ने अपने प्रोजेक्ट को FLOAT नाम दिया है यानी फ्लेक्सिबल लेविटेशन ऑन अ ट्रैक. इसका मकसद हर दिन 100 टन चांद की सामग्री को ट्रांसपोर्ट के लिए चुंबकीय रोबोट का इस्तेमाल करना है.

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चांद पर ट्रेन चलाने को लेकर नासा के जेट प्रोपल्शन लैब में रोबोटिक्स इंजीनियर और प्रोजेक्ट लीडर एथन शैलर ने कहा, 'ये एक टिकाऊ, लंबे वक्त वाला रोबोट ट्रांसपोर्ट सिस्टम है, जो 2030 के दशक में एक परमानेंट मून बेस में रोजमर्रा के ऑपरेशन्स में जरूरी होगी. 

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उन्होंने कहा, हम चांद पर पहला ट्रेन सिस्टम बनना चाहते हैं, जो उस जगह पर भरोसेमंद, स्वायत्त और किफायती पेलोड ट्रांसपोर्टर साबित हो सके.

 

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अब आप सोच रहे होंगे कि जो चांद पर ट्रेन चलेगी, उसकी पटरियां कैसी होंगी. तो इसका जवाब भी नासा ने दिया है. उन्होंने कहा कि चांद पर चलने वाली ट्रेन फिक्स ट्रैक्स पर निर्भर नही होगी. 

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वहां फ्लेक्सिबल ट्रैक्स इस्तेमाल किए जाएंगे, जिनको चांद की सतह पर फैलाया जा सकता है. यानी अगर चांद की सतह पर कोई बदलाव भी हो तो उनको वहां से हटाकर कहीं और फैलाया जा सके.

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चांद पर चलने वाली ट्रेन की पटरियां बिना बिजली वाले मैग्नेटिक रोबोट्स को सपोर्ट करेंगी, जो उनके ऊपर तैरेंगे, और ट्रैक रोबोट्स को उनकी मंजिल तक ले जाने के लिए इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स पैदा करेंगे.

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चांद पर जो ट्रेन चलेगी, उसमें वही तकनीक का इस्तेमाल होगा, जो धरती पर चलने वाली मैग्लेव ट्रेनों में होता है. इसमें ताकतवर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पटरियों पर बिना बिजली के डिब्बे आगे बढ़ाते हैं. लेकिन FLOAT सिस्टम में, यह ट्रैक ही हैं जो रफ्तार को ताकत देते हैं, न कि रेल को.

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एथन शैलर ने कहा, हर रोबोट अलग-अलग साइज और आकार के सामानों को 1.61 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पहुंचाएंगे, जिससे चांद पर धूल में उनको कम से कम दिक्कतें होंगी.

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हालांकि नासा की इस योजना को बाकी स्पेस एजेंसियों से टक्कर मिल सकती है क्योंकि रूस और चीन चांद पर परमानेंट बसने को लेकर प्लान बना रहे हैं.

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