What are Processed Foods: भारत में अब लोगों के खान-पान का तरीका भी बदल रहा है. रोटी, चावल, दाल, सब्जी, सलाद, दही ये सभी आइटम एक थाली में हो तो उसे हेल्दी थाली माना जाता है. लेकिन अब भारतीयों की थाली से अनाज घट रहा है और अनाज की जगह अब प्रोसेस्ड फूड या फल और ड्राईफ्रूट्स ने ली है. नेशनल सैंपल सर्वे की एक रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लोग परंपरागत भोजन की जगह, ज्यादा पौष्टिक और रेडी टू ईट भोजन को ज्यादा ले रहे हैं. चलिए आपको बताते हैं कि आखिर इस रिपोर्ट में क्या है.
नेशनल सैंपल सर्वे की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले दो दशकों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति अनाज का मासिक खपत 3 किग्रा और शहरी क्षेत्रों में 2 किलोग्राम कम हुआ है. वर्ष 1999-2000 के मुकाबले वर्ष 2022-23 में अनाज का सेवन ग्रामीण क्षेत्रों में 25 फीसदी और शहरी क्षेत्रों 20 फीसदी कम हुआ है.
सरल शब्दों में इसका मतलब ये हुआ कि अब लोग अनाज की जगह अपनी थाली के आइटम्स बदल रहे है. रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में फल और ड्राईफ्रूट्स पर खर्च 1.72 फीसदी से बढ़कर 3.73 फीसदी हो गया है.
शहरी क्षेत्रों में फल-मेवों पर खर्च 2.42 से बढ़कर 3.81 प्रतिशत हो गया है. प्रोसेस्ड फूड पर ग्रामीणों का खर्च 4.91 फीसदी से बढ़कर 9.62 फीसदी हो गया है. जबकि शहरी क्षेत्रों में प्रोसेस्ड फूड पर खर्च 6.35 फीसदी से बढ़कर 10.64 फीसदी हो गया है.
ग्रामीण क्षेत्रों में अंडा-मछली-मांस पर खर्च 3.32 फीसदी से बढ़कर 4.91 फीसदी हो गया है. और शहरों में अंडा-मछली-मांस पर खर्च 3.13 से बढ़कर 3.57 फीसदी हो गया है.
बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि गांव आओ, अच्छा खाना खाओ, सेहत बनेगी. लेकिन अब गांवों के लोग भी दूध, दाल और सब्जियों पर कम खर्च कर रहे हैं. गांव हो या शहर दोनों जगह चीनी-नमक पर खर्च कम हुआ है. इसका सीधा सा मतलब है लोग अब अपनी सेहत को लेकर ज्यादा सजग हो रहे हैं.
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