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इजरायल कैसे करता है खुद का बचाव? ड्रोन और मिसाइल से हमला करना क्यों है मुश्किल?

How Israel protect self: 13 अप्रैल की रात को ईरान ने इजरायल पर ड्रोन, क्रूज मिसाइलें और रॉकेट से हमला किया. जब ईरान ने 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलें इजरायल की तरफ दागी तो इजरायलियों ने बंकरों में शरण ली. लेकिन, वे घर पर भी रह सकते थे, क्योंकि 99 प्रतिशत मिसाइलें इजरायली हवाई क्षेत्र के बाहर निष्क्रिय कर दिए गए. इसके बाद इस बात की चर्चा होने लगी है कि आखिर क्या है जिस वजह से इजराइल पर ड्रोन और मिसाइल से हमला करना कठिन है?

 

3 लेवल शील्ड

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3 लेवल शील्ड

ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों और हमास, हिजबुल्लाह और अन्य दुश्मनों द्वारा दागे गए रॉकेट और मोर्टार के खतरे का मुकाबला करने के लिए इजराइल तीन व्यापक प्रकार के मिसाइल इंटरसेप्टर का उपयोग करता है. इसमें पहला आयरन डोम सिस्टम हैं, दूसरा डेविड स्लिंग और तीसरा एरो 2 और 3 है. तो चलिए आपको बताते हैं कि इजरायल के ये सिस्टम काम कैसे करते हैं.

आयरन डोम सिस्टम

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आयरन डोम सिस्टम

सबसे पहले आपको बताते हैं कि आयरन डोम सिस्टम कैसे काम करता है. इजरायल साल 2011 से आयरन डोम सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है, जो जमीन से हवा में वार करने वाला सिस्टम है. यह सिस्टम आने वाले रॉकेट, गोले, विमान, हेलिकॉप्टर आदि का पता लगाने के लिए रडार का उपयोग करता है और हमलों को हवा में ही नष्ट कर देता है. इसके इंटरसेप्टर दुश्मन की मिसाइल या रॉकेट का पता लगा लेते हैं और कंट्रोल रूम के कंप्यूटर को कमांड भेजता है. इसके बाद कंट्रोल रूम से दुश्मन के रॉकेट, मिसाइल या ड्रोन को हवा में ही मार गिराया जाता है.

डेविड स्लिंग क्या है

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डेविड स्लिंग क्या है

डेविड स्लिंग भी आयरन डोम की तरह इजरायल के एयर डिफेंस का लेयर है. इजरायल साल 2017 से इसका इस्तेमाल कर रहा है. यह सिस्टम बैलिस्टिक एवं क्रूज मिसाइलों का पता लगा लेता है और 25 से 186 मील तक की रेंज में फायर की गई मिसाइलों और रॉकेट्स को नष्ट कर देता है. यह जेलजल -2, फतेह-110 और एम-600 जैसी भारी मिसाइलों को रोक सकता है. इसने साल 2023 में गाजा पट्टी से दागे गए एक रॉकेट को निष्क्रिय कर दिया था.

एरो 2

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एरो 2

यह प्रणाली अपेक्षाकृत पुरानी है, जिसे 1991 के खाड़ी युद्ध में इराक द्वारा तेल अवीव और हाइफा में 42 स्कड मिसाइलें दागे जाने के एक दशक बाद विकसित किया गया था. एरो 2 को साल 2000 में चालू किया गया था और इसका उद्देश्य स्कड जैसी लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करना है. ऐरो-2 मिसाइल को हत्ज के नाम से जाना जाता है और इसका वजन करीब 1300 किलोग्राम है. यह इजरायली हवाई क्षेत्र से लगभग 200 किमी दूर मिसाइल को नष्ट कर सकता है, लेकिन महंगा है और हर इंटरसेप्टर मिसाइल की कीमत 3 मिलियन डॉलर है.  इजराइल ने पिछले अक्टूबर में यमन से ईरान समर्थित हूती द्वारा दागी गई सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट करने के लिए एरो 2 का इस्तेमाल किया था.

एरो 3

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एरो 3

एरो 3 भी एरो 2 की तरह ही रक्षा प्रणाली है, जो लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बनाती है. इजरायल सरकार ने कभी भी इसकी मारक क्षमता, गति और सटीकता की जानकारी नहीं दी है, लेकिन दावा है कि यह ऐरो-2 मिसाइल से ज्यादा तेज गति में चलती है और यह मिसाइल को तभी नष्ट कर सकती है, जब वह अंतरिक्ष में उड़ रही हो. इजरायल साल 2017 से इसका इस्तेमाल कर रहा है और पिछले साल नवंबर में इसने अपनी ताकत दिखाई जब हूती द्वारा इजरायल की तरफ दागी गई मिसाइल को मार गिराया. यह लक्ष्य पर हमला करने के लिए तेज 'हाइपरसोनिक' मिसाइलों का उपयोग करता है.

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