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ईरान से आई नौकरानी.. देखते ही शहजादे ने सब कुर्बान कर दिया, बनाया मुगल इतिहास की सबसे ताकतवर बेगम; फिल्म भी बनी

Jahangir Love Interest Nur Jahan: ईरान से आई एक लड़की जो अपने माता-पिता के साथ मुगल दरबार में नौकरों वाला काम करती थी, अचानक उस पर शहजादे सलीम यानि कि जहांगीर की नजर पड़ती है. इसके बाद प्रेम का जो प्रसंग शुरू हुआ वह ऐतिहासिक हो गया. यहां तक कि जहांगीर ने अपने बाप बादशाह अकबर से भी विद्रोह कर लिया. आखिर में एक दिन ऐसा आया कि वो ईरानी लड़की मुगल इतिहास की सबसे ताकतवर बेगम बन गई.

नूरजहां और जहांगीर की प्रेम कहानी

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नूरजहां और जहांगीर की प्रेम कहानी

भारत में एक दौर मुगल साम्राज्य का भी था. उस मुगल काल के इतिहास में कई रोचक किस्से हैं. इनमें से एक है नूरजहां और जहांगीर की प्रेम कहानी. एक साधारण सी नौकरानी के रूप में महल में आई यह महिला बाद में मुगल बादशाह जहांगीर की पत्नी बनी. और तो और, उसने मुगल साम्राज्य में इतना प्रभावशाली स्थान हासिल किया कि उसे मुगल इतिहास की सबसे ताकतवर महिलाओं में गिना जाता है. 

फारसी परिवार में पैदा हुई थीं नूरजहां

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फारसी परिवार में पैदा हुई थीं नूरजहां

नूरजहां, जिनका असली नाम मेहरुन्निसा था, एक फारसी परिवार में पैदा हुई थीं. उनके माता-पिता मिर्जा गियास बेग और अस्मत बेगम थे. उनका परिवार ईरान से भारत आया था और मुगल दरबार से जुड़ गया था. नूरजहां के पिता ने मुगल बादशाह जहांगीर की सेवा में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और बाद में उन्हें एतमाद-उद-दौला की उपाधि से सम्मानित किया गया.

देखते ही शहजादे ने सब कुर्बान कर दिया

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देखते ही शहजादे ने सब कुर्बान कर दिया

शहजादे सलीम जो बाद में जहांगीर के नाम से मशहूर हुए. मेहरुन्निसा (नूरजहां) को देखकर मोहित हो गए थे. लेकिन अकबर को जब इस बात का पता चला, तो उन्होंने मेहरुन्निसा की शादी अलीकुली खां से कर दी. अलीकुली खां दरबार का एक प्रभावशाली व्यक्ति था. जहांगीर ने मेहरुन्निसा के लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया था. वह बादशाह बना तो उसने मेहरुन्निसा को फिर से अपने जीवन में लाने का फैसला किया.

नूरजहां को पाने के लिए क्या क्या किया?

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नूरजहां को पाने के लिए क्या क्या किया?

इतना ही नहीं जहांगीर ने नूरजहां को पाने के लिए शेर अफगान को मार डाला. शेर अफगान की मौत के बाद, जहांगीर ने नूरजहां से शादी की. नूरजहां ने मुगल साम्राज्य में एक शक्तिशाली स्थिति हासिल की और जहांगीर ने उन्हें 'नूरजहां' की उपाधि दी.

नूरजहां का प्रभाव बढ़ता गया

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नूरजहां का प्रभाव बढ़ता गया

जब बाद के दिनों में जहांगीर की तबीयत बिगड़ने लगी थी और वे राजकाज में कम दिलचस्पी लेने लगे थे. उन्होंने मुगल साम्राज्य के महत्वपूर्ण फैसले लेने का अधिकार नूरजहां को सौंप दिया. नूरजहां का प्रभाव इतना बढ़ गया कि मुगल साम्राज्य के आदेशों पर उनके हस्ताक्षर होने लगे. 1617 में, चांदी के सिक्के जारी किए गए जिन पर नूरजहां और जहांगीर दोनों के नाम थे. एक महिला के नाम का सिक्के पर होना उस समय बहुत बड़ी बात थी.

मुगल साम्राज्य पर अकेले शासन किया

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मुगल साम्राज्य पर अकेले शासन किया

कई इतिहासकारों का मानना है कि नूरजहां ने मुगल साम्राज्य पर अकेले शासन किया और कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए. जब जहांगीर को कैद कर लिया गया था, तब नूरजहां ने सेना की कमान संभालकर उन्हें बचाने की कोशिश की थी. इसीलिए उन्हें मुगल इतिहास की सबसे शक्तिशाली महिला माना जाता है.

एक हिंदी फिल्म भी 1967 में बनी

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एक हिंदी फिल्म भी 1967 में बनी

नूर जहां नाम की एक फिल्म भी 1967 में बनी थी. इस फिल्म के निर्माता शेख मुख्तार थे और निर्देशक मोहम्मद सादिक. मुख्य भूमिकाओं में मीना कुमारी, प्रदीप कुमार, हेलेन और ललिता पवार ने अभिनय किया था. यह फिल्म मुगल बादशाह जहांगीर की आखिरी बेगम नूर जहां के जीवन पर ही आधारित एक कहानी  थी.

नूरजहां फिल्म की कहानी क्या थी

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नूरजहां फिल्म की कहानी क्या थी

इस फिल्म में भी यही दिखाया गया था कि जब सम्राट अकबर को पता चला कि उनका लाडला बेटा शहजादा सलीम बागी हो गया है, तो वे यकीन नहीं कर पाए. अकबर ने इस विद्रोह को कुचलने का फैसला किया और पूरा मुगल साम्राज्य स्तब्ध हो गया था.

फिल्म के गाने भी हिट हुए थे

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फिल्म के गाने भी हिट हुए थे

अकबर की प्रतिष्ठा और जहांगीर का बागी होना आमने-सामने हो गया. उधर सलीम यानि कि जहांगीर मेहरू निसा के प्यार में पड़ गए थे. फिल्म में इसी कहानी को आगे बढ़ाया गया है. उस दौरान इस फिल्म के कुछ गाने भी हिट हुए थे.

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