Jain Mandir Ayodhya: अयोध्या प्रभु राम की जन्मभूमि है लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि अयोध्या में 5 जैन तीर्थंकरों का भी जन्म हुआ है. यही वजह है कि जैन धर्मावलंबियों के लिए भी अयोध्या प्रमुख तीर्थों में से एक है.
जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर यानी कि भगवान हैं. तीर्थंकर वे हैं जिन्होंने अपने तप के माध्यम से आत्मज्ञान (केवलज्ञान) प्राप्त किया है. तीर्थंकर को अरिहंत कहा जाता है. अरिहंत से मतलब है कि जिसने अपने भीतर के शत्रुओं पर विजय पा ली है.
कुलकरों की कुल परंपरा के सातवें कुलकर नाभिराज और उनकी पत्नी मरुदेवी के पुत्र ऋषभदेव का जन्म चैत्र कृष्ण की अष्टमी-नवमी को अयोध्या में हुआ. ऋषभदेव जी के 2 पुत्र भरत-बाहुबली और 2 पुत्रियां ब्राह्मी और सुंदरी थीं. उन्होंने बाद में दीक्षा ली और फाल्गुन कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन कैवल्य की प्राप्ति हुई. फिर कैलाश पर्वत क्षेत्र के अष्टपद में आपको माघ कृष्ण चतुर्दशी को निर्वाण प्राप्त हुआ.
द्वितीय तीर्थंकर अजीतनाथजी की माता का नाम विजया और पिता का नाम जितशत्रु था. अजीतनाथ जी का जन्म भी अयोध्या में हुआ था. उन्होंने माघ शुक्ल पक्ष की नवमी को दीक्षा ग्रहण की, फिर पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई. इसके बाद चैत्र शुक्ल की पंचमी तिथि को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ.
चौथे तीर्थंकर अभिनंदनजी की माता का नाम सिद्धार्था देवी और पिता का नाम सन्वर है. माघ शुक्ल की द्वादशी तिथि को अयोध्या में जन्मे अभिनंदननाथ जी ने माघ शुक्ल की द्वादशी को ही दीक्षा ग्रहण की. फिर कठोर तप से पौष शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई. इसके बाद बैशाख शुक्ल की षष्ठी या सप्तमी के दिन सम्मेद शिखर पर अभिनंदननाथ जी को निर्वाण प्राप्त हुआ.
पांचवें तीर्थंकर सुमतिनाथजी के पिता मेघरथ और माता सुमंगला थीं. सुमतिनाथ जी का अयोध्या में वैशाख शुक्ल की अष्टमी को जन्म हुआ. उन्होंने वैशाख शुक्ल की नवमी के दिन दीक्षा ली फिर चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी को उन्हें कैवल्य ज्ञान प्राप्त हुआ था. भगवान श्री सुमतिनाथ को चैत्र शुक्ल की एकादशी को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ.
चौदहवें तीर्थंकर श्री अनंतनाथजी की माता सर्वयशा और पिता का नाम सिंहसेन था. उनका जन्म अयोध्या में वैशाख कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हुआ. उन्होंने वैशाख कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को दीक्षा ग्रहण की फिर वैशाख कृष्ण की त्रयोदशी के दिन ही कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई. चैत्र शुक्ल की पंचमी के दिन भगवान श्री अनंतनाथ जी को सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हआ.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
ट्रेन्डिंग फोटोज़