Space Mission: स्पेस साइंस में अब भारत एलिट क्लब में धमाल मचा रहा है. चंद्रयान 3 की कामयाबी के बाद अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान के वैज्ञानिक भारतीय मेधा की तारीफ करते नहीं थक रहे. इसके पीछे वजह भी खास है. कम कीमत पर स्पेस मिशन में कामयाबी के झंडे गाड़ना आसान बात नहीं है. इन सबके बीच हम बात उन भारतीयों की करेंगे जिन्होंने देश का सम्मान दुनिया में बढ़ाया है. राकेश शर्मा, कल्पना चावला, राजा चारी, सिरशा बांदला और सुनीता विलियम्स उनमें से एक हैं.
भारतीय मूल की कल्पना चावला पहली ऐसी एस्ट्रोनॉट रहीं जिन्होंने इतिहास रच दिया. हरियाणा के करनाल में जन्म हुआ और बाद में वो अमेरिका चली गई थीं
राजा चारी का जन्म विस्कॉन्सिन में भारत के पेगी एग्बर्ट और श्रीनिवास वी. चारी के यहाँ हुआ था।[3][4] उनका पालन-पोषण सीडर फॉल्स, आयोवा में हुआ और उन्होंने कोलंबस हाई स्कूल में पढ़ाई की और 1995 में स्नातक की उपाधि प्राप्त की. 1999 में अंतरिक्ष यात्री इंजीनियरिंग और इंजीनियरिंग विज्ञान में स्नातक बने.
विंग कमांडर राकेश शर्मा एक पूर्व भारतीय वायु सेना पायलट रहे हैं. वियत इंटरकोस्मोस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 3 अप्रैल 1984 को सोयुज टी-11 पर उड़ान भरी थी. वह अंतरिक्ष में यात्रा करने वाले एकमात्र भारतीय नागरिक हैं.
बंदला का जन्म भारत के आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में एक तेलुगु भाषी हिंदू परिवार में हुआ था. उनके जन्म के बाद, बंदला का परिवार गुंटूर के तेनाली चला गया. पांच साल की उम्र तक बंदला ने अपना समय हैदराबाद में अपने दादा के घर और तेनाली में अपनी दादी के घर के बीच बिताया. बाद में बंदला अपने माता-पिता के साथ ह्यूस्टन, संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं।
सुनीता विलियम्स का पैतृक परिवार भारत के गुजरात में मेहसाणा जिले के झूलासन से है जबकि उनका मातृ परिवार स्लोवेनियाई वंश का है. उन्होंने 1987 में यूनाइटेड स्टेट्स नेवल अकादमी से भौतिक विज्ञान में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री के बाद 1995 में फ्लोरिडा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग प्रबंधन में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की थी.
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