झुलसाती और चिलचिलाती गर्मी में खुद को तरोताजा रखने और शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए कई तरह के फलों का सेवन किया जाता है. स्वादिष्ट होने के साथ ही इन फलों में प्रचुर मात्रा में पानी भी उपलब्ध होता है.
जी हां, आज भारत में बहुतायत में पाया जाने वाला लीची का फल भारत का नहीं, बल्कि एक विदेशी फल है. भारत में गर्मियों में लीची खूब खाया जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि लीची की उत्पत्ति कहां हुई है. इसका वैज्ञानिक नाम(Litchi Chinensis) है. स्वाद में खट्टा-मीठायह एक प्रकार का उष्णकटीबन्धीय फल है.
लीची मुख्य रूप से चीन का फल है. चीन को लीची का मूल निवास कहा जाता है, क्योंकि इस देश से ही लीची की उत्पत्ति हुई और यह फल देश-विदेश तक फैला. खाने में मीठा और सेहतमंद होने की वजह से यह जल्द ही लोगों का पसंदीदा बन गया.
जानकारी के मुताबिक लीची की खेती चीन के दक्षिणी हिस्से में 1059 ईस्वी में हुई थी. वहीं, चीन के कुछ रिकार्ड्स के मुताबिक इसका इतिहास 2,000 ईसा पूर्व का बताया जाता है. चीन के इंपेरियल कोर्ट में लीची का इस्तेमाल स्वादिष्ट व्यंजन तौर पर किया जाता था.
चीन से उत्पत्ति होने के बाद लीची ने दुनिया भर के कई देशों में अपनी जगह बनाई. आज के समय में भारत, मैडागास्कर, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, उत्तरी वियतनाम, दक्षिण ताइवान, थाईलैंड, इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका और फिलीपींस में लीची का बहुत सेवन किया जाता है.
भारत में लीची की खेती का गढ़ मुख्यरूप से देहरादून को कहा जाता है. विकास नगर, वसंत विहार, नारायणपुर, कालूगढ़, रायपुर, डालनवाला और राजपुर रोड पर प्रमुख रूप से लीची की खेती की जाती है.
शुरुआत में स्थानीय लोगों ने लीची की खेती में अधिक दिलचस्पी नहीं दिखाई थी, लेकिन 1950 के बाद लोगों ने इसे पंसद करना शुरू किया और इसकी खेती भी बढ़ने लगी. इसके अलावा बिहार में भी लीची का पैदावार बहुत होती है. बिहार के मुजफ्फरपुर में लगभग 70 प्रतिशत क्षेत्र में शाही लीची की खेती होती है, इसलिए इस शहर को शाही लीची की राजधानी भी कहा जाता है.
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