Pakistan China threat: मोदी सरकार ने 10 साल में देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए डिफेंस सेक्टर पर फोकस किया है. चीन-पाकिस्तान से निपटने के लिए करोड़ों-अरबों रुपए की डिफेंस डील (defense deals) हुई हैं. इसी साल मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद सेना के लिए केंद्र ने खजाना खोल दिया है. भारत ने इस दौरान न सिर्फ सुपरपावर देशों के साथ डील की है बल्कि वैश्विक शांति और भारत के हितों को देखते हुए कुछ छोटे-छोटे देशों के साथ भी सैन्य समझौता किया है. अमेरिका, रूस और फ्रांस के अलावा कई देशों से भारत का सैन्य समझौता हुआ है वो लिस्ट यहां देखें.
(नोट: सांकेतिक तस्वीरें साभार सोशल मीडिया)
मोदी सरकार देश की सुरक्षा को लेकर मुस्तैद है. 2024 में रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने सशस्त्र बलों की सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए 92000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के कई रक्षा सौदों को मंजूरी दी है. ये निवेश अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है.
हाल के रक्षा सौदों की मंजूरी की बात करें तो हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा समर्थित, Su-30MKI लड़ाकू जेट बेड़े के एक बड़े मॉडिफिकेशन के लिए मंजूरी दिलाने की कोशिश की थी.
इसी साल 60000 करोड़ रुपये की कुछ परियोजना का मकसद नए रडार, मिशन कंट्रोल सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं के विकाल और नेक्स्ट जेन वेपंस को मंगाना है. नेवी के अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों पर तैनाती के लिए 450 KM की मारक क्षमता वाली 220 से अधिक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का इंतजाम किया गया है. करीब 19500 करोड़ रुपये का ये सौदा ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए अब तक का सबसे बड़ा कांट्रैक्ट है.
भारतीय वायु सेना (IAF) में मिग-29 लड़ाकू विमानों के मौजूदा बेड़े के लिए नए इंजनों के निर्माण को मंजूरी मिली है. जिसका उत्पादन HAL द्वारा रूस के सहयोग से लगभग 5300 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है.
रणनीतिक क्षेत्रों में भारत के रडार कवरेज को बढ़ाने और ड्रोन और विमानों द्वारा संभावित हमलों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए बेहद हाई पावर वाले रडार और L-70 एयर डिफेंस गन के नए एडिशन के अधिग्रहण को मंजूरी दी गई है. प्रत्येक परियोजना का मूल्य लगभग 6,000 करोड़ रुपये है.
60000 करोड़ रुपये की इस परियोजना का लक्ष्य नए रडार, मिशन नियंत्रण प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं और हथियार प्रणालियों के एकीकरण के माध्यम से विमान की क्षमताओं को बढ़ाना है.
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने Su-30MKI लड़ाकू जेट बेड़े को अपग्रेड के लिए रक्षा मंत्रालय से मंजूरी ले चुका है. ये काम तेजी से बढ़ रहा है.
ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक नौसेना के अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों को हथियारों से लैस करने के अलावा लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत इंजन तैयार करने का फैसला हो चुका है.
भारत की रक्षा क्षमताओं को और बढ़ाते हुए, सरकार ने उच्च शक्ति वाले रडार और L-70 एयर डिफेंस गन के लेटेस्ट ए़डिशन मंगवाए हैं. IAF को जल्द ही 13000 करोड़ रुपये के हाई-टेक रडार और एयर डिफेंस गन भी मिल जाएंगी. वहीं फ्रांस 26 राफेल एम फाइटर जेट भारत को देगा. जिन्हें INS Vikrant और INS Vikramaditya पर तैनात किया जाएगा. फ्रांस ने इसके लिए जारी टेंडर के हिसाब से पिछले साल दिसंबर में ही अप्लाई किया था.
इंडियन एयरफोर्स, China Pakistan Border पर राडार की मौजूदा श्रृंखला को बदलने के साथ और बड़ी बढ़त बनाने के लिए नए राडार खरीद रही है. कैबिनेट कमेटी ने करीब 7000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी मेड इन इंडिया क्लोज-इन वेपन सिस्टम परियोजना को भी मंजूरी दे चुकी है. भारत सरकार और फ्रांस के बीच राफेल मरीन फाइटर जेट (Rafale Marine Fighter Jet/ Rafale M) की डील दिलचस्प है. 50000 करोड़ रुपए की इस डील से भारत को 26 राफेल M फाइटर जेट मिलेंगे. राफेल मरीन भारत में मौजूद राफेल फाइटर जेट्स से एडवांस्ड यानी ज्यादा मारक है. और ये बहुत कम जगह पर लैंड भी कर सकता है.
PIB की एक रिपोर्ट के मुताबिक मोदी सरकार के बीते 10 सालों के राज में 2014 से 2024 तक भारत ने करीब 24 देशों के साथ रक्षा समझौते किए हैं. इन देशों में कुछ नाम आपको चौंका देंगे. अमेरिका, रूस और फ्रांस के अलावा कई छोटे लेकिन अहम देशों से भारत का सैन्य समझौता हुआ है.
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