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मोरक्को स्टाइल में बनी भारत की ये खूबसूरत मस्जिद क्यों पड़ी है वीरान? कभी कलाम साहब ने पढ़ी थी नमाज

Moorish Mosque: भारत की ऐतिहासिक मस्जिदों की बात की जाती है तब दिल्ली की जामा मस्जिद और भोपाल की ताज उल मसाजिद की तस्वीरें जेहन में आने लगती है, लेकिन पंजाब में एक ऐसी मस्जिद है जिसकी खूबसूरती और आर्किटेक्चर देखकर ऐसा लगेगा कि ये इमारत तो किसी दूसरे मुल्क की है. आइए हम आपको इस इबादतगाह से रूबरू कराते हैं और बताते हैं कि इस मस्जिद में नमाजी इतने कम क्यों नजर आते हैं?

खूबसूरत है मूरिश मस्जिद

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खूबसूरत है मूरिश मस्जिद

पंजाब के कपूरथला वैसे तो रेल कोच फैक्ट्री के लिए फेमस है, लेकिन यहां एक ऐसी मस्जिद है जो अपने आप में अनूठी है. इसे 'मूरिश मस्जिद' के नाम से जाना जाता है. इसका आर्किटेक्चर मोरक्को (Morocco) के ग्रैंड मॉस्क ऑफ मर्राकेश (Grand Mosque of Marrakesh) से मिलता जुलता है.

किसने बनवाई मस्जिद?

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किसने बनवाई मस्जिद?

इस शानदार मस्जिद की तामीर कपूरथला के आखिरी शासक महाराजा जगतजीत सिंह (Maharajah Jagatjit Singh) ने करवाई थी, जो सेक्यूलरिज्म में यकीन रखते थे. उस वक्त उनकी 60 फीसदी प्रजा मुस्लिम थी.

कब बनी ये मस्जिद?

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कब बनी ये मस्जिद?

इस मस्जिद को फ्रेंच आर्किटेक्ट मीस्यू एम. मंटेक्स (Monsieur M. Manteaux) ने डिजाइन किया था, जिसका निर्माण साल 1926 में शुरू हुआ और फिर 1930 में ये बनकर तैयार हो गया. तब इसको बनाने में 4 लाख रुपये का खर्च आया था. मस्जिद का उदघाटन नवाब सादिक मोहम्मद खान-5 (Nawab Sadiq Mohammad Khan V) ने किया जो भावलपुर के नवाब थे.

वीरान क्यों है ये इबादतगाह?

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वीरान क्यों है ये इबादतगाह?

हालांकि मौजूदा वक्त में मूरिश मस्जिद वीरान नजर आती है क्योंकि 1947 में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की वजह से ज्यादातर मुसलमान सरहद पार चले गए थे. 2011 की जनगणना के मुताबिक कपूरथला में इस्लाम के मानने वालों की आबादी महज 1.26 फीसदी रह गई है. ये मस्जिद हिंदुस्तान के बंटवारे का दर्द साफ बयां करती है. 

कौन हैं यहां के इमाम?

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कौन हैं यहां के इमाम?

ये मस्जिद पंजाब स्टेट डिपार्टमेंट ऑफ आर्कियोलॉजी (Punjab State Department of Archaeology) द्वारा संरक्षित एक स्मारक है, जिसकी देखभाल फिलाहल शाही इमाम हाफिज शौकत अली (Hafiz Shaukat Ali) कर रहे हैं. वो यहां साल 1994 से इमामत करा रहे हैं.

जब आए थे कलाम साहब

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जब आए थे कलाम साहब

इमाम हाफिज शौकत अली साहब ने ज़ी न्यूज (ZEE NEWS) को बताया कि 23 मार्च 2003 को यहां भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) यहां तशरीफ लाए थे, उन्होंने मूरिश मस्जिद में जुहर की नमाज अदा की थी.

'अल्लाह का घर'

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'अल्लाह का घर'

इमाम हाफिज शौकत अली साहब ने उस वक्त को याद करते हुए बताया कि जब कलाम साहब से पत्रकारों ने सवाल पूछा था कि आपको ये मस्जिद कैसी लगी, तब पूर्व राष्ट्रपति ने जवाब में कहा था कि ये अल्लाह का घर है, तो अच्छा ही लगेगा.

 

कैसे पहुंचे यहां?

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कैसे पहुंचे यहां?

कपूरथला नेशनल हाईवे 703A और NH 703AA के जरिए सड़क मार्ग से जुड़ा है. कपूरथला और जलंधर यहां के नजदीकी रेलवे स्टेशन हैं. इसके अलावा सबसे करीब का एयरपोर्ट अमृतसर में है जो तकरीबन 80 किलोमीटर दूर है. यहां आपको आसानी से बजट होटल मिल जाएंगे. 

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