Why Mughals Attack India: अतीत में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था. हम यही सुनते आए हैं कि इसी सोने की चकाचौंध से आकर्षित होकर विदेशी आक्रमणकारी हिंदुस्तान की ओर खिंचे चले आए. लेकिन अब एक शोध में पता चला है कि विदेशी आक्रमणकारियों ने अच्छे मौसम और मॉनसून के कारण भारत पर आक्रमण किया. पिछले 2600 साल में भारत पर चंगेज खान, हूण, महमूद गजनवी, मोहम्मद गोरी और बाबर जैसे आक्रांताओं ने बोला और भारत में दस्तक भी दी. आइए अब जानते हैं कि इस रिसर्च में क्या सामने आया.
दरअसल, पुणे के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (IITM) की एक रिसर्च सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप और मध्य एशिया में विदेशों के हमले के तार मॉनसून से जुड़े हुए थे. मध्य एशिया में भारत की तरह बारिश नहीं होती है.
आईआईटीएम के एक्सपर्ट नवीन गांधी के नेतृत्व में हुए शोध में टीम ने पिछले 2500 वर्षों की जलवायु की स्थितियों के बारे में जाना. इसमें केरल के ट्री रिंग पर बेस्ड सबूतों के जरिए बारिश की स्थितियों का पता लगाया गया.
टीम ने छत्तीसगढ़ के दंडक और आंध्र प्रदेश के कडपा की चट्टानी गुफाओं से मिले खनिज भंडार से जमा किए ऑक्सीजन के आइसोटोप से भी सूचना हासिल की. यही आइसोटोप किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान, इपाक और चार बेहद पुरानी गुफाओं से भी लिए गए.
बताया गया कि गुफाओं से जो सैंपल मिले हैं, वे तो 10 हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं. नवीन गांधी ने कहा कि सही तरीके से बारिश नहीं होने और नियमित मॉनसून की कमी की वजह से मध्य एशिया का एक बड़ा हिस्सा रेगिस्तान में तब्दील हो गया, जिससे खेती की संभावना कम हो गई.
स्टडी में खुलासा हुआ कि आक्रमणकारियों ने जब भारतीय उपमहाद्वीप पर हमला किया तो उनके निशाने पर सबसे पहले वही, क्षेत्र थे, जहां एग्रीकल्चर एक्टिविटीज सबसे ज्यादा थीं, जहां की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही थी. इन आक्रांताओं के पास भारतीय उपमहाद्वीप के मौसम की बेहद सटीक जानकारी भी थी.
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