Russian Nuclear Submarine Wreckage: सोवियत काल की एक पनडुब्बी समुद्र की तलहटी में लगातार रेडिएशन उगल रही है. यह Komsomolets पनडुब्बी 1989 में नॉर्वे के तट के पास हादसे का शिकार हुई थी. तब से यह वहीं पर है. इसके 42 सदस्यीय क्रू की मौत हो गई थी. पनडुब्बी के भीतर एक न्यूक्लियर रिएक्टर और दो न्यूक्लियर टारपीडो मौजूद हैं. रूस लगातार दावा करता रहा कि उसने रिएक्टर में लीक को रोकने के लिए कई मिशन भेजे. हालांकि, अब नॉर्वे के रिसर्चर्स ने पाया है कि Komsomolets पनडुब्बी का मलबा भयानक रेडिएशन उगल रहा है. रेडिएशन की मात्रा समुद्र के नॉर्मल लेवल से एक लाख गुना ज्यादा पाई गई. इस पनडुब्बी का अंदरूनी हल टाइटेनियम से बना है. यहां 1500 psi तक दबाव झेल सकती थी और 3,350 फीट की गहराई तक जा सकती थी. इसकी अधिकतम रफ्तार 370 किलोमीटर प्रति घंटा हुआ करती थी. लेकिन अब यह पनडुब्बी रेडिएशन का ज्वालामुखी बन गई है. (Photos: EPA-YouTube/@havforskningen)
नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ मरीन रिसर्च के वैज्ञानिकों ने सोवियत पनडुब्बी पर रिसर्च की. उन्होंने एक वेंटिलेशन होल के पास से सैंपल लिया. इस होल से कभी-कभी धूल का गुबार बाहर आता है. वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्हें लगता है कि यह होल न्यूक्लियर रिएक्टर से जुड़ा है. इंस्टीट्यूट के हिल्डे एलिस हेल्डल ने कहा, 'हमने इस होल से बीच-बीच में एक तरह का धुआं निकलते देखा है.'
हेल्डल ने कहा कि उनकी टीम ने एक अंडरवाटर ड्रोन की मदद से उस वेंटिलेशन होल के पांच सैंपल लिए हैं. एक सैंपल में रेडिएशन लेवल नॉर्मल मिला, दूसरे में रेडिएशन नॉर्मल से 30 हजार गुना ज्यादा था. दो सैंपल्स का रेडिएशन सामान्य से एक लाख गुना ज्यादा था. हेल्डल के अनुसार, एक सैंपल का रेडिएशन लेवल तो नॉर्मल से 10 लाख गुना ज्यादा पाया गया.
नॉर्वे के तट पर सिर्फ यही पनडुब्बी परमाणु कचरा नहीं फैला रही. यहां हजारों टन परमाणु कचरा मौजूद हैं. एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी कि यहां धीरे-धीरे चेर्नोबिल जैसी दुर्घटना हो सकती है. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहां के बर्फीले पानी में हिरोशिमा धमाके से 6.5 गुना ज्यादा परमाणु कचरा है. समुद्र की तलहटी में 17,000 से ज्यादा ऑब्जेक्ट बिखरे हुए हैं. इनमें से 18 न्यूक्लियर रिएक्टर और डूबी हुईं पनडुब्बियां हैं. कुछ तो महज 98 फीट की गहराई पर मौजूद हैं.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये पुराने रिएक्टर्स यूरेनियम से भरपूर हैं. इनसे बड़े पैमाने पर रेडियोएक्टिव मैटेरियल लीक होगा. कई वैज्ञानिकों को लगता है कि कुछ पनडुब्बियों की परमाणु छड़ें फट भी सकती हैं जिससे हिरोशिमा जैसी दुर्घटना हो सकती है.
Komsomolets अपने समय की सबसे घातक पनडुब्बियों में से एक थी. यह रिकॉर्ड 3,350 फीट की गहराई में गोते लगा सकती थी. 1984 में जब यह बनकर तैयार हुई, तब कोई और पनडुब्बी 1500 psi का दबाव झेलने में सक्षम नहीं थी. इसकी रफ्तार भी 370 किलोमीटर प्रति घंटा थी. हालांकि, अपने पहले ही पैट्रोल मिशन में यह पनडुब्बी हादसे का शिकार हो गई.
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