Omar Ali Saifuddien Mosque In Brunei: ब्रुनेई की राजकीय यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मशहूर उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद भी देखी. ब्रुनेई के 28वें सुल्तान के नाम पर बनी यह मस्जिद देश की भव्यता का प्रतीक है. ब्रुनेई की राजधानी सेरी बेगवान में स्थित उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद में इटली का संगमरमर लगा है तो शंघाई का ग्रेनाइट भी इस्तेमाल हुआ है. 60 के दशक में निर्माण के दौरान, मस्जिद के लिए इंग्लैंड से रंगीन कांच और झूमर मंगवाए गए. मस्जिद में बेल्जियम और सऊदी अरब में हाथ से बनाए गए कालीन बिछे हैं. उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद की शैली ताजमहल जैसी मुगलकालीन इमारतों से प्रभावित है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद का दौरा किया. यहां ब्रुनेई के धार्मिक मामलों के मंत्री पेहिन दातो उस्ताज हाजी अवांग बदरुद्दीन ने उनका स्वागत किया. पीएम मोदी ने मस्जिद की भव्यता को निहारा और उसके इतिहास के बारे में जाना. मोदी ने वहां आए लोगों से भी मुलाकात की.
इस भव्य मस्जिद का नाम ब्रुनेई के 28वें सुल्तान उमर अली सैफुद्दीन III के नाम पर रखा गया है. 1954 में उन्होंने ही ब्रुनेई की राजधानी बंदर सेरी बेगवान में इस मस्जिद का निर्माण शुरू कराया था. वे वर्तमान सुल्तान, हसनल बोलकिया के पिता थे. एशिया की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में गिनी जाने वाली उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद 1958 में बनकर तैयार हुई थी.
उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद की शैली मुगलकालीन इमारतों से खासी प्रभावित है. गुंबद समेत मस्जिद के कई तत्वों में ताजमहल की झलक मिलती है. मस्जिद का आर्किटेक्चर इटालियन पुनर्जागरण शैली से भी प्रभावित है.
उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद, ब्रुनेई की वह इमारत है जिसके सबसे ज्यादा फोटो लिए जाते हैं. उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद के निर्माण से पहले, सेरी बेगवान में कोई ऐसी मस्जिद नहीं थी जो बड़ी भी हो और खूबसूरत भी. मस्जिद परिसर 5 एकड़ में फैला है और मस्जिद 225 x 86 फीट की है. यहां 3,000 लोग एक साथ इबादत कर सकते हैं. मस्जिद के गुंबद पर सोने की परत चढ़ी है. मस्जिद को बनाने में दुनियाभर से खूबसूरत सामग्रियां इस्तेमाल की गई थीं. इटली से संगमरमर आया तो शंघाई से ग्रेनाइट, इंग्लैंड से चार टन और दो टन वजन वाले रंगीन कांच और झूमर मंगाए गए. मस्जिद में बेल्जियम और सऊदी अरब से हस्तनिर्मित कालीन बिछे हैं.
यह मस्जिद एक मानव निर्मित लैगून से घिरी हुई है. लैगून के बीच में महलीगई नामक एक कृत्रिम बजरा है. मस्जिद के भीतर एक तय जगह है जो लाल पट्टी से मार्क की गई है. मस्जिद में आने वाले गैर-मुस्लिमों को इस दायरे के भीतर रहना होता है. गूगल मैप में उमर अली सैफुद्दीन मस्जिद की लोकेशन और स्ट्रीट व्यू नीचे देखने के लिए यहां क्लिक करें
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