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Sela Tunnel: सीमा पर चीन की बढ़ी टेंशन, LAC तक बन गई भारत की सुरंग; ऑल वेदर रोड से चुटकियों में तवांग पहुंचेगी सेना

Arunachal Pradesh Sela Tuneel: नया साल आने वाला है, पुराना जाने वाला है. नए साल (New Year 2024) के जश्न से पहले चीन एलएसी (LAC) से भारत के लिए अच्छी और चीन (China) के लिए बहुत बुरी खबर आ गई है. दरअसल दुनिया की सबसे अधिक ऊंचाई बन रही सबसे लंबी सेला टनल का काम लगभग कंप्लीट हो गया है. डबल लेन वाली ये ऑल वेदर टनल (All weather tunnel) अरुणाचल प्रदेश के कामिंग और तवांग जिले को जोड़ेगी. यानी भारत की सेना (Indian Army) अब चुटकी बजाते ही तवांग तक पहुंच जाएगी. इसलिए चीन और उसकी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के पसीने छूट रहे हैं.

बीआरओ की अगुवाई में हुआ काम

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बीआरओ की अगुवाई में हुआ काम

भारत-चीन सीमा पर चल रही टेंशन (India China Border Tension) के बीच चीनी सेना के जनरल से लेकर फ्रंट पर तैनात जवान थर-थर कांप रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि गलवान में भारतीय सेना के जाबांज रणबांकुरों से पिटने के बाद अब तवांग से उसके लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. क्योंकि भारत की आल वेदर टनल (Sesa Tunnel) लगभग तैयार हो गई है. इसका करीब 98 फीसदी काम पूरा हो गया है. नए साल (New Year 2024) की शुरुआत में यह ऑल वेदर टनल (All weather tunnel) खुल जाएगी.

इंजीनियरिंग का नायाब नमूना सेसा टनल

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इंजीनियरिंग का नायाब नमूना सेसा टनल

BRO की निगरानी में बनी टनल इंजीनियरिंग का एक नायाब नमूना है. करीब 13 हजार फुट की ऊंचाई पर बनी ऑल वेदर सेसा टनल कई मायनों में खास है. डबल लेन वाली ये ऑल वेदर टनल (All weather tunnel) अरुणाचल प्रदेश के कामिंग और तवांग जिले को जोड़ेगी. ये तवांग तक पहुंचने का एक मात्र सीधा रास्ता है. ऐसे में भारतीय सेना (Indian Army) अब चुटकी बजाते ही तवांग तक पहुंच जाएगी. इसलिए चीन की सरदर्दी बढ़ गई है. 

सेना के लिए कितना फायदा?

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सेना के लिए कितना फायदा?

इस नए रूट से तवांग में सेना की आवाजाही काफी आसान हो जाएगी. जब चीन के साथ रिश्तों में कड़वाहट है. ऐसे में 2024 में इसके खुलने से इलाके में क्रांति आएगी और LAC पर भारत का दबदबा बढ़ जाएगा. इस प्रोजेक्ट में नेशनल हाईवे तक एकल मार्ग को दोहरे मार्ग में परिवर्तित किया जाना शामिल है. अब खराब मौसम या बर्फबारी के दौरान भी सेना की आवाजाही प्रभावित नहीं होगी और कम समय में एक जगह से दूसरी जगह जाया जा सकेगा.

 

रणनीतिक अहमियत

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रणनीतिक अहमियत

फिलहाल भारतीय सेना और आम लोग तवांग तक जाने के लिए बलीपारा-चरिदुआर रोड का इस्तेमाल करते हैं. क्योंकि यहां कि कनेक्टिविटी सर्दियों में भयानक हिमपात होने की वजह से बाधित हो जाती है इसलिए जरूरत पड़ने पर वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित की जाती है. इसके चालू होने से असम के तेजपुर और अरुणाचल के तवांग में सेना के जो चार कोर मुख्यालय स्थित हैं, उनके बीच की दूरी भी करीब एक घंटे कम हो जाएगी. कहा तो ये भी जा रहा है कि इस सुरंग की वजह से बोमडिला और तवांग के बीच 171 किलोमीटर दूरी काफी सुलभ बन जाएगी और हर मौसम में कम समय में वहां जाया जा सकेगा. 

हर मौसम में जाने की आजादी

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हर मौसम में जाने की आजादी

द सेला पास टनल वर्तमान में इस्तेमाल किए जा रहे रोड को बाइपास करके बैसाखी को सीधे नूरानंग तक जोड़ेगी. द सेला टनल, सेला-चारबेला रिज से कटती है. यह द सेला पास से पश्चिम की ओर कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित है. इस टनल के बनने से यहां पर वाहनों की आवाजाही बहुत ही आसाम से की जा सकेगी. इसके साथ ही यहां की दूरी करीब 10 KM तक कम हो जाएगी. इस प्रोजेक्ट में एक जुड़वां ट्यूब सहित दो सुरंगें शामिल हैं. टनल 2 में ट्रैफिक के लिए एक बाइ-लेन ट्यूब और आपात स्थिति के लिए एक एस्केप ट्यूब है. गौरतलब है कि नियमों के मुताबिक 1500 मीटर से अधिक लंबी सुरंगों में एस्केप पैसेज बनाना जरूरी है. यही पैसेज न होने पर अभी उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा टनल (silkyara tunnel) में 41 लोग फंस गए थे.

(सांकेतिक तस्वीर)

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