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कहीं आप तो नहीं खरीद रहे बाजार से मौत? रोंगटे खड़े कर देगी ये इकलौती वेब सीरीज, ओटीटी पर है टॉप ट्रेंडिंग...देखकर रो पड़ेगी आत्मा

OTT Trending Web Series Must Watch: आज हम आपको एक ऐसी वेब सीरीज के बारे में बताएंगे जिसे देखना हर एक के लिए जरूरी है. ये वेब सीरीज इस वक्त ओटीटी पर टॉप ट्रेंड कर रही है. ये ना केवल समाज में बीमारी की तरह फैल चुकी कालाबाजारी और धोखाधड़ी को दिखाएगी. बल्कि हो सकता है कि इसे देखने के बाद आप किसी मेडिकल शॉप पर दवाई खरीदने से पहले सौ बार सोचे. 

 

खोल देगी आंख

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खोल देगी आंख

ये वेब सीरीज ना केवल आपके दिमाग में सौ सवाल खड़े कर देगी, बल्कि आपको से सोचने पर भी मजबूर कर देगी कि कहीं आप मौत की दवाई तो नहीं खरीद रहे. हां, लेकिन इतना जरूर है कि इस वेब सीरीज को देखने के बाद आपकी आत्मा जरूर रो जाएगी. चलिए आपको ओटीटी पर टॉप ट्रेंडिंग इस वेब सीरीज के बारे में बताते हैं.

कौन सी है वेब सीरीज?

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कौन सी है वेब सीरीज?

इस वेब सीरीज की शुरुआत होती है रितेश देशमुख है के ट्रांसफर से. ये मेडिसिन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सदस्य हैं और उनकी पोस्टिंग किसी और जगह पर हो जाती है. डॉक्टर प्रकाश का रोल निभा रहे रितेश को पता चलता है कि फॉर्मा क्यूर कंपनी की बनाई गई मेडिसिन, मेडिसिन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सभी पैमानों तो पूरा किए बिना ही मार्केट में उतार दी गई है. बस वहीं से इस सीरीज की कहानी गढ़ी गई है.

 

झूठा दावा

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झूठा दावा

फॉर्मा क्यूर मेडिसिन सेक्टर में एक बड़ी दिखाई गई है जिसका काफी नाम है. ये कंपनी बड़े पैमाने पर दवाए बनाती है और दावा करती है कि इसकी दवाएं क्लीनिकल टेस्टिंग में सक्सेस हुई और इसे मेडिसन मेडिसिन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने भी अप्रूव कर दिया है. इसलिए ये 100 फीसदी सही और प्रमाणित है. 

 

मर रहे लोग

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मर रहे लोग

सीरीज में एंट्री होती है नूर की जो एक पत्रकार है. नूर के हाथ कूड़े में फेके गई फॉर्मा क्यूर की वो फाइल लगती है जिससे पता चलता है कि फॉर्मा क्यूर का ये दावा पूरी तरह से फर्जी है. जो भी वो दवाएं बाजार में उतार रही है वो क्लीनिकल ट्रायल में फेल हुई हैं और इसका लोगों पर बुरा असर पड़ा है. यहां तक कि कई लोगों की आंखों की रोशनी, किडनी और कई लोगों के लंग्स भी इफेक्ट हुए हैं.

इंसानी जानवर

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इंसानी जानवर

नूर किसी तरह से डॉक्टर प्रकाश और उनकी कलीग गुरसिमरत के चट में आते हैं. जिसके बाद रितेश देशमुख जैसे ही इस फॉर्मा कंपनी में चेकिंग की परमीशन सीनियर से मांगता है तो वो साफ इनकार कर देते हैं. बाद में पता चलता है कि ये कालाबाजारी और लोगों के साथ धोखाधड़ी सिर्फ फार्मा कंपनी नहीं बल्कि सरकार के लिए नौकरी करने वाले अधिकारी भी कर रहे हैं. वो सैलरी तो सरकार से लेते हैं लेकिन इन मेडिसिन को अप्रूव करने की मोटी रकम फॉर्मा कंपनी से भी लेते हैं.

कहीं आपके साथ तो नहीं हो रहा ये?

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कहीं आपके साथ तो नहीं हो रहा ये?

लेकिन सस्पेंड होने के बाद वो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं और अपने केस को मजबूत करने के लिए सारी सबूत इकट्ठा करते हैं. इस सीरीज में जिस तरह से दवाओं के नाम पर मौत बेच रही फॉर्मा कंपनी का खुलासा करती है वो लोगों के मन में भी कई सवाल खड़े करती हैं. इस वेब सीरीज को आप ओटीटी प्लेटफॉर्म जियो सिनेमा पर देख सकते हैं. 

 

ईमानदारी का मिला ये सिला

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ईमानदारी का मिला ये सिला

ये जाल इतना ज्यादा बड़ा है कि रितेश और उनकी टीम कोर्ट तक पहुंच जाते हैं. जिसमें खुलासा होता है कि फॉर्मा कंपनी अपनी कई दवाएं जो टेस्टिंग में फेल हुई हैं वो धड़ल्ले से मार्केट में बेच रहा है. ये दवाएं, कैंसर, डायबिटीज, स्ट्रेस और  ना जाने कौन-कौन सी मेडिसिन है. जिन्हें खाने के बाद लोगों की तबीयत और बिगड़ रही है. आखिर में रितेश और गुरसिमरत सस्पेंड हो जाते हैं.

 

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